ऐश्वर्या राय से अनंत अंबानी तक, पांडा पैरेंटिंग क्यों अपना रहे सेलेब्स, क्या है Panda Parenting

What is Panda Parenting: दुनिया का सबसे कठिन काम बच्चे की अच्छी परवरिश को माना जाता है। किसी भी अभिभावक से पूछ लेंगे तो आपको यही जवाब मिलेगा कि पैरेंटिंग से बड़ा टास्क कुछ नहीं होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए मां-बाप पूरी जान लगा देते हैं। वह पैरेंटिंग का हर वो तरीका अपनाते हैं जिससे उसके बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके। कुछ बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं तो कुछ ये जिम्मेदारी खुद संभालते हैं। पैरेंटिंग के कई स्टाइल हैं। इन दिनों पांडा पैरेंटिंग स्टाइल की खूब चर्चा है।

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क्या है पांडा पैरेंटिंग, इसके फायदे और नुकसान

Panda Parenting in Hindi: पांडा पैरेंटिंग स्टाइल इन दिनों खूब चलन में है। बड़े-बड़े सेलेब्स से लेकर सफल शख्सियत तक ज्यादातर लोग इस तरह की पैरेंटिंग ही इस्तेमाल करते हैं। एक्सपर्ट्स पांडा पैरेंटिंग को बच्चों के लिए बहुत अच्छा बताते हैं। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि पांडा पैरेंटिंग के कुछ नुकसान भी हैं। पांडा पैरेंटिंग के फायदे और नुकसान समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर ये पांडा पैरेंटिंग है क्या?

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क्या होती है पांडा पैरेंटिंग

पांडा पैरेंटिंग उस तरह की पैरेंटिंग को कहते हैं जिसमें माता पिता अपने बच्चे को इस बात की आजादी देते हैं कि वह अपने फैसले खुद करे। लेकिन वो ये भी तय करते हैं कि बच्चा डिसिप्लिन में रहे और वह जहां गलत होता है उसे टोकते भी हैं।

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पांडा पैरेंटिंग के फायदे

पांडा पैरेंटिंग स्टाइल में पले बढ़े बच्चों का मानसिक विकास औरों से बेहतर होता है। ऐसे बच्चे बहुत जल्द आत्मनिर्भर बन जाते हैं। उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ता है। इस पैरेंटिंग स्‍टाइल से आप बच्‍चों को लाइफ में बैलेंस लाने, अपने दिल की सुनने और अपना रास्‍ता खुद बनाने की प्रेरणा दे सकते हैं।

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पांडा पैरेंटिंग के नुकसान

पांडा पैरेंटिंग का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि हद से ज्यादा आजादी मिलने के कारण वो गलत रास्ते पर भी जा सकता है। इसलिए बच्‍चे को आजादी दें लेकिन सतर्क भी रहें। यहां पर बतौर पैरेंट्स आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि आपको किस तरह से चीजों को बैलेंस करके चलना है।

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कैसे करें पांडा पैरेंटिंग

पांडा पैरेंटिंग का सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप बच्चे को अपने आप से कुछ भी करने दें। अगर वह कुछ गलत करता है तो उसे डांटने की बजाय आप उसे समझाएं कि आपने जो किया है वह गलत है और इसे किस तरह से सही किया सकता था। बच्चों को गलती सुधारने का मौका जरूर दें।