नेपाल के लोग क्यों रखते हैं खुखरी? क्या सच में खुखरी को खून पिलाते हैं गोरखा
Khukhri Kyu Rakhte hain Nepali Gurkha: गोरखा, नेपाल के सैनिक होते हैं जो ब्रिटिश या भारतीय सेना में भर्ती होते हैं। गोरखाओं को युद्ध में निडर माना जाता है और वे दैनिक जीवन में भी अच्छे स्वभाव के होते हैं। गोरखाओं को उनकी निष्ठा, व्यावसायिकता और बहादुरी के लिए जाना जाता है। गोरखाओं ने भारतीय सेना के कई बड़े अभियानों में हिस्सा लिया है।
कौन होते हैं गोरखा
गोरखा लोगों को नेपाली भारतीय भी कहा जाता है। वे मुख्य रूप से सिक्किम, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, और उत्तराखंड में रहते हैं। गोरखा शब्द, गोरखा शहर के आस-पास के क्षेत्र को दर्शाता है। इस क्षेत्र पर 1559 से 2008 तक शाह वंश ने शासन किया था। गोरखा नाम, 8वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री गुरु गोरखनाथ से लिया गया था। गोरखा लोगों की पहचान उनके खुखरी से भी होती है।
वीरता का प्रतीक है खुखरी
गोरखा खुखरी या कुकरी को गर्व और वीरता का प्रतीक मानते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय हथियार भी है। यह गोरखाओं का निजी हथियार है और इसे उसी तरह रखा जाता है जैसे आज की पीढ़ी अपने मोबाइल रखती है।
बहुउपयोगी हथियार
खुखरी नेपाली घरों में एक बहुउपयोगी उपकरण के रूप में काम करता है। इसका इस्तेमाल लकड़ी काटने या तराशने, मांस और सब्ज़ियां काटने, खुदाई करने और जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल शादियों और अन्य औपचारिक आयोजनों में भी किया जाता है।
किस चीज से बनती है खुखरी
खुखरी को स्प्रिंग स्टील से बनाया जाता है। इसका ब्लेड अंदर की ओर मुड़ा हुआ होता है। खुखरी को चमड़े के केस (म्यान) में रखा जाता है।
सबसे पुरानी खुखरी
सबसे पुरानी कुकरी काठमांडू के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित है जो 1627 ई. में गोरखा के राजा द्राब्या शाह की थी।
खुखरी को खून पिलाते हैं गोरखा
ऐसी कहावत है कि एक बार खुखरी म्यान से निकल गई तो उसे हर हाल में दुश्मन का खून चाहिए होता है। वरना म्यान में वापस रखने से पहले मालिक को अपना देना होता है।
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