चेहरे पर दाढ़ी और तन पर साड़ी, एक श्राप के चलते 200 सालों से औरत बन गरबा कर रहे यहां के मर्द, मुगल थे कारण

नवरात्रि का आज आखिरी दिन है। आज के दिन तमाम दुर्गा पंडालों में गरबा डांस होता है। बात जब गरबा की हो तो गुजरात का जिक्र होना लाजमी है। गरबा गुजरात का ही लोकनृत्य है। गुजारत में नवरात्रि के दौरान गरबा डांस का गजब माहौल बनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजरात में ही एक जगह है जहां पुरुष औरतों के कपड़े पहन गरबा करते हैं।

साडू माता नी पोल
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साडू माता नी पोल

गुजरात की औद्योगिक राजधानी है अहमदाबाद। यहीं अहमदाबाद के साडू माता नी पोल में, हर साल नवरात्रि के दौरान पुरुष साड़ी पहनकर गरबा करते हैं। यह परंपरा पिछले 200 सालों से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा एक श्राप के कारण हो रहा है। इस श्राप के पीछे मुगलों का भी हाथ था। उसी शाप की मुक्ति के लिए ये परंपरा साल दर साल चली आ रही है।और पढ़ें

क्या है मान्यता
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क्या है मान्यता

स्थानीय मान्यता और लोक कथाओं के अनुसार 200 साल से भी पहले, साडूबेन नाम की एक महिला को मुगल रईस अपनी रखैल बनाना चाहते थे। साडू बेन ने बरोट समुदाय के पुरुषों से सुरक्षा मांगी थी। मुगलों के डर से इन पुरुषों ने उसका बचाव नहीं किया।

मिला था श्राप
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मिला था श्राप

मुगलों ने साडूबेन को अपने हरम में शामिल कर लिया। उनके अत्याचार से साडूबेन के बच्चे की मृत्यु हो गई। दुख और क्रोध में, साडूबेन ने उस पूरे समुदाय के पुरुषों को श्राप दे दिया।

पापों का प्रायश्चित
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पापों का प्रायश्चित

आज 200 साल के बाद भी बरोट समुदाय के पुरुष अपने पापों के प्रायश्चित करने के लिए औरत का रूप धर गरबा करते हैं। उन्हें विश्वास है कि इससे साडू माता प्रसन्न होंगी।

अहमदाबाद की सांस्कृतिक विरासत
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अहमदाबाद की सांस्कृतिक विरासत

बता दें कि यह परंपरा, अहमदाबाद की विरासत का जीवंत अवशेष है। यह परंपरा शहर भर से आगंतुकों को आकर्षित करती है। साडू माता नी पोलसंकरी गलियों और पुराने स्टाइल के घरों से भरा है। अष्टमी और नवमी की रात को यह पोल जीवंत हो उठता है।

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