पान में बसती थी शारदा सिन्हा की जान! जानिए इतना पान क्यों खाती थीं Sharda Sinha

Sharda Sinha: मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं। शारदा सिन्हा ने मंगलवार 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। शारदा सिन्हा भोजपुरी की सबसे प्रसिद्ध लोकगायिका थीं। संगीत के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था। सैकड़ों गीतों को अपनी मधुर आवाज़ से सजाने वालीं शारदा सिन्हा पान की बहुत बड़ी शौकीन थीं।

अंदाज-ए-शारदा सिन्हा
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अंदाज-ए-शारदा सिन्हा

Sharda Sinha on Eating Paan: शारदा सिन्हा की आवाज़ में मिट्टी की एक अलग खुशबू थी। उन्होंने अपनी विशिष्ट गायन शैली से संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान बनायी थी। भोजपुरी और मगधी के परंपरागत लोकगीतों को उन्होंने इस तरह से अपनी आवाज़ से सजाया कि वो हमेशा के लिए अमर हो गए। शारदा सिन्हा ने मैंने प्यार किया और हम आपके हैं कौन जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में सुपरहिट गाने भी गाए थे। शारदा सिन्हा को जो लोग भी जानते हैं उन्हें पता होगा कि वह पान की कितनी बड़ी शौकीन थीं।और पढ़ें

खूब पान खाती थीं शारदा सिन्हा
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खूब पान खाती थीं शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा पान खूब खाती थीं। हालांकि ऐसा नहीं था कि वह पान की आदि थीं। उन्हें जो भी पान मिलता था उसे वह बड़े शौक से खा लेती थीं। वैसे मगही पान उनका पसंदीदा था।

गले को ठंडा रखने के लिए खाती थीं पान
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गले को ठंडा रखने के लिए खाती थीं पान

शारदा सिन्हा अपने किसी भी कार्यक्रम में जाने से पहले पान खा लिया करती थीं। उनका मानना था कि पान गले को ठंडा रखता। वैसे भी वह जिस मिथिलांचल से आती थीं, वहां पान मां भगवती को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

पान को तहजीब मानती थीं शारदा
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पान को तहजीब मानती थीं शारदा

शारदा सिन्हा के करीबियों के मुताबिक वह कहती थीं कि पान महज होठों को लाल करने वाला या नशे की हुड़क मिटाने वाली कोई खुराक नहीं है। ये तो एक तहजीब है। एक अंदाज है। इसके साथ ही पान दूसरों के प्रति सम्मान दिखाने वाला हमेशा तैयार एक भेंट है।

पसंदीदा व्यंजन
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पसंदीदा व्यंजन

पान खाने की शौकीन शारदा सिन्हा को सादा खाना काफी पसंद था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि चूड़ा, मलाई वाली दही और हरी मिर्च उनको सबसे अधिक प्रिय है।

छठ गीतों की पहचान थीं शारदा
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छठ गीतों की पहचान थीं शारदा

बता दें कि शारदा सिन्हा ने भोजपुरी में छठ गीतों को एक नई पहचान दी थी। ये भी कह सकते हैं कि वह भोजपुरी छठ गीतों का पर्याय थीं। उनके गीतों के बिना बिहार में शायद ही कहीं छठ का त्योहार मनता हो।

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