भारत में क्यों बैन है दुनिया की सबसे महंगी शॉल, एक भी खरीदने में छूट जाएंगे पसीने
सर्दियों के दिन की शुरुआत हो रही है। ऐसे में लोगों ने शॉल खरीदने शुरू कर दिए हैं। कई सारे लोग तो ठंड से बचते हुए फैशन दिखाने के लिए पशमीना जैसे महंगे शॉल भी खरीदते हैं। लेकिन दुनिया के सबसे महंगे शॉल के बारे में बेहद कम लोगों को ही पता है। पता भी कैसे होगा, इस शॉल को भारत में बैन जो कर दिया गया है।
ये है दुनिया की सबसे महंगी शॉल
आपने आजतक महंगी साड़ी, महंगा सूट या महंगे मेकअप के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आप दुनिया की सबसे महंगे शॉल के बारे में पता है? क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी शॉल भारत में बैन है। जी हां, शहतूश की शॉल भारत की सबसे महंगी शॉल है। आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे।
क्या है शहतूश का मतलब
शहतूश एक पर्शियन शब्द है। इसका मतलब किंग ऑफ वूल यानी इसे ऊन का राजा होता है। शहतूश को सबसे अच्छी कैटेगरी का ऊन माना जाता है। वहीं, इससे बनी शॉल दुनिया की सबसे महंगी शॉल है।
कैसे बनती है शहतूश की शॉल
शहतूश शॉल या शहतोष शॉल चिरु के बालों से बनाई जाती है। शहतूश में फाइबर की मोटाई 10 माइक्रॉन होती है। आपको बता दें कि इस शॉल को बनाने के लिए कई सारे चीरू को मारा जाता है। ये चिरू तिब्बत और लद्दाख के पहाड़ों में पाए जाते हैं।
20 हजार चिरू की जान
ऐसा माना जाता है कि एक शहतूश शॉल को बनाने में चार-पांच चीरु को मारा जाता है यानी हर साल करीब 20 हजार चिरू शहतूश कारोबार की वजह से मर जाते हैं।
भारत में क्यों बैन है शहतूश की शॉल
शहतूश की शॉल को रिंग शॉल भी कहते हैं। साल 1975 में IUCN द्वारा शहतूश शॉल को बैन कर दिया गया इसके बाद 1990 में भारत ने भी इस शॉल पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विलुप्त होते चिरू को बचाया गया
पहले तो भारत में बैन के बाद भी कश्मीर में इसे गैरकानूनी तौर पर बेचा जाता था, लेकिन 2000 से इसकी बिक्री बिल्कुल बंद है। बता दें कि इसका कई संगठनों की ओर से विरोध किया गया था और चिंता व्यक्ति की गई थी कि इससे चिरू खत्म हो रहे हैं, फिर इस पर बैन लगाया गया और इस विलुप्त होने से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया।
कितनी है शहतूश के शॉल की कीमत?
शहतूश की शॉल दुनिया की सबसे महंगा शॉल है। आप इसकी कीमत का इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक शॉल के लिए अगर चार जानवर की हत्या कर दी जाए तो वो कितना महंगा होगा। बताया जाता है कि यह शॉल 5000 डॉलर से लेकर 20 हजार डॉलर तक में भी बिकता है। यानी एक शॉल खरीदने के लिए आपको 15 लाख रुपये तक भी खर्च करने पड़ सकते हैं।
कब हुई शहतूश के शॉल बनने की शुरुआत?
शहतूश की शॉल को 16वीं शताब्दी में अकबर के शासन के समय पर बनाना शुरू किया गया था। उस समय केवल राज महलों में ही इस शॉल का उपयोग किया जाता था। फिर कुछ समय के बाद इसे लोग बेचने भी लगे और इसे ज्यादा से ज्यादा बनाया जाने लगा।
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