इन 10 चीजों से है वाराणसी की पहचान, ये नहीं किया तो काशी को समझा ही नहीं
वाराणसी को भारत की आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है। वाराणसी को काशी और बनारस नाम से भी जाना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी की सूरत बदली-बदली सी नजर आती है। लेकिन यह शहर अब भी वही शहर है, जिसे उतना ही पुराना माना जाता है, जितनी मानव सभ्यता। गंगा नदी के तट पर बसा वाराणसी या काशी भगवान शिव की नगरी है। देश के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक काशी भी है। माना जाता है कि काशी आने वालों को मोक्ष मिल जाता है।
गंगा नदी में बोटिंग
बनारस आएं को गंगा मईया के करीब से दर्शन न किए तो फिर काशी आना बेकार ही मानिए। यहां पर बोटिंग का लुत्फ लेते हुए गंगा मईया के दर्शन का अपना ही मजा है। गंगा में बोटिंग के यहां के अनुभव को आप कभी नहीं भूलेंगे। नाव पर सवार होकर आप यहां के कई घाटों के दर्शन कर पाएंगे और हिंदू रीति-रिवाजों के गवाह बनेंगे। सुबह 5.30 से 8 बजे के बीच यहां बोटिंग का अलग ही मजा है।
बनारस का खाना
बनारस के खाने का कोई जवाब नहीं। यहां के पकवान मुंह में पानी लाने वाले हैं। काशी की गलियों में जायके का अनुभव आपको अलग ही दुनिया में ले जाएगा। यहां का मशहूर टमाटर चाट, पानी पुरी, कचौड़ी, आलू टिक्की, कई तरह की जलेबियां, बनारसी कलाकंद और रबड़ी का स्वाद अद्भुत होता है।
मंदिरों में दर्शन
काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहां आप हर गली-नुक्कड़ में भगवान से उनके मंदिर में मिल सकते हैं। यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर तो काशी विश्वनाथ मंदिर ही है। यहां पर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को विश्वनाथ कहा जाता है। दुर्गा मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, अंकट मंदिर, कालभैरव मंदिर, मृत्युंजय महादेव मंदिर, तुलसी मानस, संकटमोचन और भारत माता मंदिर यहां के कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं।
गंगा घाट पर सूर्यास्त
वाराणसी में गंगाघाटों पर सूर्यास्त देखने का अनुभव अपने आप में अद्भुत है। डूबते हुए सूरज की किरणें जब गंगा के पवित्र पानी को छूती हैं तो घाट तांबई से पीले और फिल मद्धम पड़ जाते हैं। दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट, माता आनंदमई गाट, मणिकर्णिका घाट, मुंशी घाट, राज घाट, सिंधिया घाट, यहां के कुछ बड़े घाट हैं।
गंगा स्नान
बनारस आकर भी पतित पावनी गंगा में डुबनी नहीं लगाई तो फिर क्या किया। वाराणसी में 84 से ज्यादा घाट हैं। सुबह पौ फटने से ही यहां गंगा स्नान शुरू हो जाता है और लोग हर-हर गंगे के उद्घोष करते नजर आते हैं।
गंगा आरती
बनारस की गंगा आरती यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण है। ऋषिकेश और हरिद्वार से लेकर वाराणसी तक गंगा आरती होती है। लेकिन वाराणसी की गंगा आरती आप कभी नहीं भूलेंगे। मंत्रोचार के साथ काशी की गंगा आरती आप अपने दिल में बसाकर जाएंगे।
बुनकरों के पास जाएं
कहा जाता है जितनी पुरानी मानव सभ्यता, उतना ही पुरानी बनारस नगरी है। इस नगरी में कुछ पुराने बुनकरों के मोहल्ले भी हैं, जो अपने आप में मास्टरपीस तैयार करते हैं। यहां का सराय मोहना गांव बुनकरों का गांव है, जो रेशम की बुनाई के लिए मशहूर है। यहां के बुनकर द्वारा बनाई गई बनारसी साड़ी की मांग दुनियाभर में है।
सारनाथ भी जरूर जाएं
वाराणसी से सिर्फ 12 किमी की दूरी पर सारनाथ है, यहां जाना न भूलें। भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति के बाद पहली बार उन्होंने यहीं सारनाथ में ही उपदेश दिया था। यह बौद्धों के चार सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहीं पर मशहूर अशोक स्तंभ भी है, जहां से भारत का राष्ट्रीय चिन्ह लिया गया है।
रामनगर का किला
काशी नरेश ने गंगा नदी के पूर्वी घाट पर रामनगर किले का निर्माण करवाया था। गंगा में बोटिंग करते हुए आपके इसकी भव्यता निहार सकते हैं। रामनगर किले में जा रहे हैं तो यहां सरस्वती म्यूजियम में जरूर जाएं। रामनगर की दुर्गा पूजा और रामलीला भी बहुत मशहूर हैं।
यहां भी जरूर जाएं
वाराणसी देश की आध्यात्मिक राजधानी है। इसके आसपास कई जगहें हैं, जहां पर्यटक जाना पसंद करते हैं इसमें 64 शक्तिपीठों में से एक विद्यांचल भी शामिल है। चंद्र प्रभा सेक्चुरी, चुनार फोर्ट और जौनपुर भी जा सकते हैं। इसके अलावा कुछ हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिरों के खंडहर भी यहां पर हैं।
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