देश में 8 बड़े हाईवे बनाने की तैयारी, यूपी समेत इन राज्यों की खुलेगी किस्मत!

देशभर में रोड कनेक्टविटी और बेहतर करने के लिए हाईवे और एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य जोरों पर है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबकि, सरकार भविष्य में कई प्रोजेक्ट को मंजूरी देने जा रही है। माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट लगभग 50,000 करोड़ रुपये के आठ प्रमुख राजमार्ग विकास प्रस्तावों पर विचार कर सकती है। किन राज्यों और शहरों को जोड़ेंगे ये हाईवे, आइए जानते हैं।

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इन राज्यों में शुरू होंगी परियोजनाएं

ये हाईवे परियोजनाएं उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में फैली हुई हैं। इनके बनने से राज्यों के विकास को तो गति मिलेगी ही, लोगों को भी आवाजाही में आसानी होगी और उनका कीमती समय बचेगा।

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​पीपीपी मोड पर बनाई जाएंगी

सूत्रों के मुताबिक, सभी परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर बनाई जाएंगी। एनएचएआई ने इनमें से अधिकांश परियोजनाओं के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं और राजमार्ग डेवलपर्स के बीच अधिक दिलचस्पी पैदा करने के लिए उनके साथ कई दौर की बैठकें की हैं।

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अयोध्या बाईपास समेत ये हाईवे

टीओआई के मुताबिक, इन परियोजनाओं में 68 किलोमीटर लंबा अयोध्या बाईपास, 121 किलोमीटर लंबा गुवाहाटी रिंग रोड, 516 किलोमीटर लंबा खड़गपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे शामिल है।

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ये हाईवे भी शामिल

इसके अलावा 6-लेन आगरा ग्वालियर ग्रीनफील्ड हाईवे (88 किलोमीटर), नासिक और खेड़ (पुणे) के बीच आठ लेन वाला 30 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड हाईवे शामिल है।

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कैबिनेट की मंजूरी जरूरी

चूंकि पीपीपी के तहत इन सभी बड़ी परियोजनाओं की लागत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है, इसलिए पीपीपीएसी के अंतर-मंत्रालयी पैनल द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए और बोली लगाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी।

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अब भारतमाला जैसी परियोजना को मंजूरी नहीं

सूत्रों ने कहा कि सरकार निकट भविष्य में भारतमाला जैसी किसी भी राजमार्ग विकास योजना के लिए व्यापक मंजूरी नहीं दे सकती है, जिसका अर्थ है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली हर परियोजना को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजना होगा।

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अन्य परियोजनाओं की सूची भेजने की भी योजना

राजमार्ग मंत्रालय दिसंबर तक अन्य परियोजनाओं की सूची मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने कहा कि परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए, राजमार्ग एजेंसियों को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही 3डी अधिसूचना के लिए जाने की अनुमति दी जाएगी।