गजब है बिहार में प्यार और तलाक की सियासत

बिहार के बारे में कहा जाता है कि इस प्रदेश में असीमित संभावनाएं हैं, यहां के लोग काबिल हैं, लेकिन नेता कहते हैं कि जंगलराज, भ्रष्टाचार राज्य की पहचान बन चुकी है। राजनीति में चाणक्य के नाम से पहचान बना चुके प्रशांत किशोर कहते हैं कि यहां के राजनेताओं ने खुद और अपने परिवार के बारे में अधिक सोचा और उसका असर सियासी मोहब्बत और तलाक में नजर आता है।

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प्रशांत किशोर- नीतीश कुमार

बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर के बारे में कहा जाता था कि नीतीश संग जोड़ी इतनी तगड़ी है कि दोनों कभी अलग नहीं होंगे। लेकिन सियासी तौर पर दोनों का रास्ता अलग है। जनसुराज में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ते।

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पीके का तंज भरा अंदाज

नीतीश कुमार की उम्र हो गई है, जिन 17 सालों मे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहे है उन सालों में वो 15 साल भाजपा के सहारे मुख्यमंत्री रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव में जब आप राजनैतिक और सामाजिक तौर पर अकेले पड़ जाएं, आपके साथ कोई न हो। जिनके साथ आपने गठबंधन किया है उन लोगों पर आपका खुद का भरोसा नहीं है।

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'लालू से नीतीश को प्रेम नहीं'

नीतीश कुमार को जितना जानता हूँ उनका आरजेडी, लालू और तेजस्वी के साथ कभी सामंजस्य बैठ ही नहीं सकता है। उन्होंने अपनी कुर्सी और अपने पद को बचाने के लिए ये समझौता किया है उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया है कि उनका आरजेडी और लालू से प्रेम है

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तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव के बारे में प्रशांत किशोर कहते हैं कि 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे को भूल चुके हैं। बेरोजगारों के हितों की अगर चिंता होती तो पटना की सड़कों पर युवाओं पर लाठीचार्ज के मामले सामने नहीं आते।

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लालू यादव

लालू यादव के बारे में प्रशांत किशोर कहते हैं कि इस शख्सियत में लोगों ने सामाजिक न्याय की रोशनी देखी। लेकिन इनकी पहचान, भ्रष्टाचार और जंगलराज से होती है। जो कुनबा जांच एजेंसियों के घेरे में है उसकी विश्वसनीयता को आप खुद समझ सकते हैं।

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'राजनीति मेरे लिए सेवा का धर्म'

प्रशांत किशोर खुद के बारे में कहते हैं कि जन सुराज यात्रा के पीछे उनका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। वो तो सिर्फ बिहार के लोगों को बताना चाहते हैं कि आप लोगों को राजनीतिक दलों ने किस हद तक छला है। आप लोगों को खुद के लिए आगे आना होगा।

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राबड़ी देवी

राबड़ी देवी को बिहार संभालने की जिम्मेदारी मिली। लेकिन पर्दे के पीछे कौन सरकार चला रहा था सबको पता है। हाल ही में सीबीआई रेड के बारे में उन्होंने कहा कि यह सब तो चलता रहता है तो आप समझ सकते हैं कि उनकी समझ कितनी है।

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पीके बोले- भोले नहीं हैं नीतीश कुमार

ये नीतीश कुमार की राजनीतिक हिसाब किताब की समझ है कि यदि अगले चुनाव में भाजपा को बढ़त मिलती है तो सबसे पहले नीतीश जी की कुर्सी जाएगी और उस कुर्सी को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया है।

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तेज प्रताप यादव

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के बारे में उन्होंने कहा कि ये वही शख्स हैं जो पानी पी कर नीतीश कुमार को गाली देने का मौका नहीं छोड़ते थे। लेकिन सत्ता सुख में अब सब कुछ भूल चुके हैं।