बिहार में पुल गिर रहे या गिराये जा रहे? 9 दिन पांच ब्रिज धराशाही, सुशासन पर भ्रष्टाचार के 'दाग'

Bihar Bridge Collapse: बिहार में एक के बाद एक 5 पुल पिछले दिनों गिर चुके हैं। इसमें पुराने से नए पुल तक शामिल हैं। इन पुलों के गिरने से नीतीश सरकार सवालों के घेरे में है, हालांकि सरकार की सहयोगी पार्टी हम के मुखिया और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को इसमें साजिश लग रही है। उनका कहना है कि कोई जानबुझकर ऐसे कर रहा है। मतलब पुल गिर नहीं रहे हैं गिराये जा रहे हैं। हालांकि यह एक राजनीतिक बयान ही लग रहा है, क्योंकि सरकार की ओर से ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है।

मधुबनी में गिरा पुल
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मधुबनी में गिरा पुल

बिहार के मधुबनी क्षेत्र में शुक्रवार को एक निर्माणाधीन पुल ढह गया। पिछले नौ दिनों में राज्य में इस तरह की यह पांचवीं घटना है। यह घटना मधुबनी जिले के भेजा थाने के मधेपुर प्रखंड में हुई जहां 75 मीटर लंबा पुल निर्माणाधीन था। 3 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह पुल 2021 से निर्माणाधीन था। इसका निर्माण बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा कराया जा रहा था। और पढ़ें

 9 दिन में पांच पुल
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9 दिन में पांच पुल

यह ताजा घटना बिहार में पुल निर्माण में लापरवाही और भ्रष्टाचार के जारी मामलों को उजागर करती है। पिछले 9 दिनों में चार अन्य पुल ढह गए हैं, जिससे निर्माण मानकों और निगरानी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

दो साल में छह पुल
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दो साल में छह पुल

19 जून से अब तक बिहार के अररिया, सीवान और मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) जिलों में कई पुल ढह चुके हैं। पिछले दो सालों में राज्य में छह पुल ढह चुके हैं।

कब और कहां गिरा पुल
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कब और कहां गिरा पुल

18 जून को अररिया में बकरा नदी पर बना 12 करोड़ रुपये की लागत से बना पुल ढह गया। इसके बाद 22 जून को सीवान में गंडक नदी पर बना करीब 40-45 साल पुराना पुल भी ढह गया।

पूर्वी चंपारण से लेकर किशनगंज तक पुल हुआ धड़ाम
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पूर्वी चंपारण से लेकर किशनगंज तक पुल हुआ धड़ाम

23 जून को पूर्वी चंपारण में करीब 1.5 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा एक पुल ढह गया, जिसके लिए स्थानीय लोगों ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। अंत में 27 जून को किशनगंज में कनकई और महानंदा नदियों को जोड़ने वाली एक छोटी सहायक नदी पर बना पुल भी ढह गया।

सुशासन पर भ्रष्टाचार के दाग
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सुशासन पर भ्रष्टाचार के दाग

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है। बीजेपी और हम इस सरकार में सहयोगी हैं। केंद्र में भी इनकी ही सरकार है। नीतीश बिहार में सुशासन की सरकार का दावा करते रहे हैं, लेकिन जिस तरह से पुल गिर रहे हैं, उससे साफ है कि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के दाग तो लगते दिख रहे हैं।

जीतन राम मांझी का अजीब तर्क
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जीतन राम मांझी का अजीब तर्क

मोदी सरकार में मंत्री जीतन राम मांझी का पुल गिरने को लेकर अजीब तर्क है। जीतन राम मांझी का कहना है- "आपने दो महीना पहले पुल गिरने का लगातार उदाहरण देखा था? एक आध पुल कभी गिरा था, उसपर कार्रवाई हो रही थी। लेकिन लगातार पुल गिर रहा है, इसका मतलब हमको लगता है कि कहीं न कहीं सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा लोग कर रहे हैं।"और पढ़ें

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