PHOTOS: बिहार का ये शहर है 'लौंडा डांस' का जनक, जानें कैसे मिली पहचान
बिहार अपनी संस्कृति, अपने समृद्ध इतिहास और गौरवशाली परंपराओं के लिए जाना जाता है। उसी तरह बिहार के शहर भी अपनी किसी न किसी खासियत के लिए मशहूर हैं। उन्हीं शहरों में से एक ऐसा शहर है, जिसे लौंडा डांस का जनक कहा जाता है। आइए जानते हैं लौंडा डांस और इसके इतिहास के बारे में-
बिहार का शहर
घाघरा और गंगा नदी के संगम पर स्थित यह शहर वैसे तो कई और चीजों के लिए मशहूर है। इसके साथ ही यह शहर अपने लौंडा डांस के लिए भी जाना जाता है।
छपरा का डांस
कहा जाता है कि छपरा शहर ही लौंडा डांस का जनक है। इसी शहर से इस डांस की शुरुआत हुई थी, जिसे बाद में समाज में एक अलग पहचान दिलाई गई।
लौंडा डांस
आपको बता दें कि बिहार के छपरा शहर में कार्तिक पूर्णिमा के दौरान एक मेला लगता है। इस मेले को गोदना सेमेरिया मेला कहा जाता है।
क्यों कराया जाता है लौंडा डांस?
इस मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। जब यहां किसी भी भक्त की मन्नत पूरी होती है, तो लौंडा डांस कराया जाता है।
भिखारी ठाकुर ने दिलाई पहचान
कहा जाता है कि भोजपुरी के महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर ने लौंडा डांस को लोक नृत्य से व्यावसायिक रूप देने में अहम भूमिका निभाई थी।
दरबार से हुई शरुरआत ?
हालांकि, कुछ विद्वानों का ऐसा भी कहना है कि इसकी शुरुआत राजाओं के दरबार से हुई थी। लेकिन, कुछ जगहों पर इस नृत्य को काफी अहम माना जाता है।
इन जगहों पर फेमस लौंडा डांस
आपको बता दें कि लौंडा डांस एक लोक नृत्य है, जो बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और नेपाल में काफी फेमस है।
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