शारदा सिन्हा की वो 10 अनदेखी तस्वीरें, जिसमें झलकती है उनके संघर्ष से लेकर बिहार कोकिला तक की यात्रा

बिहार कोकिला शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका दिल्ली में निधन हो गया। शारदा सिन्हा आज जिस मुकाम पर पहुंची थीं वो एक दिन की मेहनत का नतीजा नहीं था। इसकी यात्रा बिहार के एक छोटे से गांव हुलास गांव से शुरू हुई थी। पहले पिता का सपोर्ट मिला और फिर पति का। दोनों का साथ पाकर शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा बढ़ती रही। छोटी सी उम्र में शारदा सिन्हा ने संगीत की दुनिया में जो कदम रखा, वो पहले धीरे-धीरे और फिर इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि उनकी प्रसिद्धि पूरी दुनिया में हो गई।

खामोश हो गई बिहार कोकिला शारदा सिन्हा की आवाज
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खामोश हो गई बिहार कोकिला शारदा सिन्हा की आवाज

छठ पूजा लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरी है। उन्होंने छठ महापर्व के लिए 'केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके' और 'सुनअ छठी माई' जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं। इन गीतों के बिना छठ पर्व मानों अधूरा सा लगता है। उनके गाए गीत देश क्या, सात समुंदर पार अमेरिका तक में भी सुने जाते हैं। मंगलवार की रात शारदा सिन्हा की आवाज तब खामोश हो गई, जब छठ महापर्व का पहला दिन था।और पढ़ें

कई भाषाओं में गातीं थीं शारदा सिन्हा
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कई भाषाओं में गातीं थीं शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा का जाना देश के संगीत खासकर भोजपुरी, मैथिली और मगही के लिए बहुत बड़ी क्षति है। शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अद्वितीय गायकी का जलवा बिखेरा।

कई फिल्मों में भी शारदा सिन्हा ने दी थी आवाज
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कई फिल्मों में भी शारदा सिन्हा ने दी थी आवाज

शारदा सिन्हा की आवाज में सलमान खान की फिल्म "मैंने प्यार किया" का गाना "कहे तो से सजना" बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा, उन्होंने "गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2" और "चारफुटिया छोकरे" जैसी फिल्मों में भी गाने गाए, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।

बिहार के सुपौल में शारदा सिन्हा का हुआ था जन्म
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बिहार के सुपौल में शारदा सिन्हा का हुआ था जन्म

लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया। शारदा सिन्हा विशेष रूप से छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।और पढ़ें

हले पिता और फिर पति का मिला साथ
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हले पिता और फिर पति का मिला साथ

शारदा सिन्हा के पिता ने उनके बचपन में ही संगीत की रूचि देख ली थी। जिसके बाद उन्होंने शारदा सिन्हा को स्थानीय लेवन पर शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलवाई, फिर आगे भी उन्हें संगीत के क्षेत्र में बढ़ाते रहे। बाद जब शारदा सिन्हा की शादी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुई थी, तो उनका भी भरपूर साथ मिला। शारदा सिन्हा की सास को भी उनके पति ने ही मनाया था।और पढ़ें

शारदा सिन्हा को कौन सी बीमारी थी
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शारदा सिन्हा को कौन सी बीमारी थी

शारदा सिन्हा 2017 से मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं। तब से उनका इलाज चल रहा था। हाल ही जब शारदा सिन्हा के पति का निधन हुआ तब वो टूट गईं और बीमारी बढ़ गई। जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया और फिर कुछ दिनों के इलाज के बाद 5 अक्टूबर को निधन हो गया।

सात समुंद्र पार भी गूंजती है शारदा सिन्हा की आवाज
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सात समुंद्र पार भी गूंजती है शारदा सिन्हा की आवाज

शारदा सिन्हा की आवाज किसी एक क्षेत्र की नहीं थी। बिहार-यूपी से प्रशंसक बनने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज भी जारी है। भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, फिजी, मॉरीशस, कनाडा में भी शारदा सिन्हा के हजारों प्रशंसक रहते हैं, उनकी आवाज पर छठ पूजा मनाते हैं।

पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित
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पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित

संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को सराहा गया और उन्हें 1991 में 'पद्मश्री' और 2018 में 'पद्म भूषण' जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके अद्वितीय गायन के साथ-साथ भारतीय संगीत और संस्कृति को समर्पित उनके योगदान का प्रतीक हैं।

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