1980 से अब तक ये 11 नेता बने BJP अध्यक्ष, किसने खिलाया कमल?
BJP Foundation Day: आज भारतीय जनता पार्टी अपना 44 स्थापना दिवस मना रही है। आज ही के दिन 6 अप्रैल 1980 को भाजपा की स्थापना हुई थी। करीब चार दशकों में यह भगवा पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। जनसंघ से भाजपा तक का उसका सफर इतना व्यापक रहा कि आज वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि कौन-कौन से नेता भाजपा अध्यक्ष रहे और उनका कितना कार्यकाल रहा।

अटल बिहारी वाजयेपी (1980-1986)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी 1980 में बीजेपी के गठन के साथ ही इसके पहले अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में ही बीजेपी देश की एक मुख्य पार्टी के तौर पर स्थापित हुई। बीजेपी ने जनसंघ की छात्र राजनीति को छोड़कर नए सियासी क्षितिज पर कदम रखा। उस वक्त वाजपेयी मध्य प्रदेश में रहा करते थे।

लालकृष्ण आडवाणी (1986-1991)
आडवाणी ने 1986 में बीजेपी की कमान संभाली और पार्टी की हिंदुत्व की लाइन पर ले गए। उनकी अगुवाई में बीजेपी ने जबरदस्त तरक्की की और पार्टी एक प्रमुख सियासी ताकत बनकर उभरी। 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा ने उन्हें और बीजेपी दोनों को मशहूर कर दिया। आडवाणी 1993 से 1998 तक दोबारा बीजेपी अध्यक्ष बने थे।

मुरली मनोहर जोशी (1991-1993)
आडवाणी के बाद जोशी बीजेपी के तीसरे अध्यक्ष बने। वह शुरू से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे। आडवाणी के साथ उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उनके कार्यकाल में ही बीजेपी प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी।

कुशाभाऊ ठाकरे (1998-2000)
1993 से 1998 तक आडवाणी के दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद मध्य प्रदेश के कुशाभाऊ ठाकरे को बीजेपी की कमान मिली। जब वह अध्यक्ष बने तक उन्हें ज्यादा लोग जानते नहीं थे। वह हिंदुत्व का नरम चेहरा माने जाते थे।

बंगारू लक्ष्मण (2000-2001)
आरएसएस से जुड़े रहे तेलंगाना के बंगारू लक्ष्मण बीजेपी के पहले दलित नेता थे जिन्हें अध्यक्ष चुना गया था। तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। (Twitter)

जेना कृष्णमूर्ति (2001-2002)
बंगारू लक्ष्मण के इस्तीफा देने के बाद तमिलनाडु के जेना कृष्णमूर्ति को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया। अटल मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद उन्होंने एक साल के भीतर ही इस्तीफा दे दिया।

वेंकैया नायडू (2002-2004)
जेना कृष्णमूर्ति के बाद नायडू को बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। आंध्र प्रदेश के नायडू आडवाणी के करीबी माने जाते थे और उनके आने से पार्टी की हार्ड हिंदुत्व की छवि और मजबूत हुई। 2004 लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2004 से 2005 तक आडवाणी ने तीसरी बार पार्टी की कमान संभाली।

राजनाथ सिंह (2005-2009)
उत्तर प्रदेश के राजनाथ सिंह को दिसंबर 2005 में पार्टी की कमान मिली। वह आरएसएस से सदस्य होने के साथ ही यूपी के सीएम भी रह चुके थे। उनकी वापसी से बीजेपी की हिंदुत्व छवि को और धार मिली।

नितिन गडकरी (2009-2013)
राजनाथ के बाद नितिन गडकरी पार्टी अघ्यक्ष बने। संघ सदस्य होने के साथ-साथ इससे पहले वह महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार में मंत्री भी रह चुके थे। नागपुर के रहने वाले गडकरी को संघ का प्रबल समर्थन हासिल था। 2013 घोटाले के आरोप के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2013-2014 तक राजनाथ दोबारा एक साल के लिए पार्टी अध्यक्ष बने।

अमित शाह (2014-2020)
पीएम मोदी के करीबी अमित शाह को 2014 में पार्टी की कमान सौंपी गई। शाह को अहम पद मिलने को राजनीतिक विशेज्ञषों ने नरेंद्र मोदी की पार्टी पर मजबूत पकड़ का संकेत माना। शाह को 2016 में दोबारा अध्यक्ष चुना गया। अपने कार्यकाल में शाह ने पार्टी को लोकसभा चुनाव में दो बार प्रचंड बहुमत दिलवाया। इन बड़ी जीत के साथ मोदी-शाह की जोड़ी भी चर्चित हुई। दूसरे कार्यकाल के बाद मोदी कैबिनेट में गृह मंत्री का पद मिला।

जेपी नड्डा (2020 से अब तक)
शाह के बाद जेपी नड्डा पार्टी अध्यक्ष चुने गए। उन्हों मोदी-शाह का करीबी माना जाता है। उनके कार्यकाल में पार्टी को कई राज्यों में अहम जीत मिली, हालांकि उनके गृह राज्य हिमाचल में बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी। 2022 में उन्हें दोबारा पार्टी अध्यक्ष चुना गया।

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