एक ऐसा आंदोलन जिसने बीजेपी का पहुंचा दिया फर्श से अर्श तक

देश में इस समय बीजेपी उन सभी बड़े प्रदेशों के साथ साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज है जहां पहले कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। लेकिन कामयाबी की इस कहानी में कई चेहरे रहे जिन्होंने अपने जीवन को खपा दिया। 1980 में जब जनसंघ का रूप बदला तो बीजेपी का जन्म हुआ। यहां पर हम उन खास चेहरों का जिक्र करेंगे जिनकी चर्चा किए बगैर बीजेपी की कामयाबी की कहानी अधूरी है।

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1980 में बीजेपी का गठन

जिस भारतीय जनता पार्टी को हम वर्तमान रूप में देखते हैं उसका गठन 1980 में हुआ था। यह वो दौर था जब देश के करीब करीब हर सूबों में कांग्रेस बेहद मजबूत थी। 44 साल के सफर में पार्टी ना सिर्फ अलग अलग राज्यों में काबिज है बल्कि केंद्र में 2014 से सरकार चला रही है।

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अटल बिहारी वाजपेयी

बीजेपी की पूरी कामयाबी अटल बिहारी वाजपेयी के बगैर अधूरी है। जनसंघ के बड़ा चेहरा रहे वाजपेयी पार्टी के संस्थापक रहे। कभी वो दौर भी था जब पार्टी अपने झंडे को उठाने वालों को खोजती थी। लेकिन कठिन परिश्रम क्या होता है उसकी झलक आप इस खास शख्स में देख सकते हैं। अनवरत मेहनत के बाद बीजेपी केंद्र की सत्ता में काबिज होने में कामयाब हुई।

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लालकृष्ण आडवाणी

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर पार्टी को सर्वोच्च ऊंचाई तक पहुंचाने में लंबे सफर को तय किया। आडवाणी को राम मंदिर आंदोलन का अगुवा भी कहा जाता है जब सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा को लांच किया था।

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नरेंद्र मोदी

बीजेपी आज कामयाबी के शिखर पर है। पिछले 9 साल से पार्टी इस खास शख्सियत की पहचान पर केंद्र में काबिज है। पीएम की कुर्सी तक के सफर को तय करने से पहले गुजरात के सीएम रहे। नरेंद्र मोदी की पहचान ना सिर्फ कुशल संगठनकर्ता बल्कि शानदार वक्ता के तौर पर होती है।

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प्रमोद महाजन

प्रमोद महाजन अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन पार्टी को आगे बढ़ाने में इनकी खास भूमिका रही। महाराष्ट्र से आने वाले महाजन ना सिर्फ लोगों को आसानी से अपनी तरफ आकर्षित कर लिया करते थे, बल्कि संगठन को साधे रखने में महारत हासिल थी।

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कल्याण सिंह

बीजेपी की तरक्की में कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही। इन्होंने देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी की कमान संभाली। राम मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरों में से एक थे। अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने के समय ये यूपी के सीएम थे।

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योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ को बीजेपी का फायरब्रांड नेता यूं ही नहीं माना जाता। 2017 में चुनाव प्रचार के दौरान ये पार्टी के स्टार प्रचारक थे और उसका फायदा भी मिला। पांच साल सफल सरकार चलाने के बाद जनता ने 2022 में एक बार फिर उन पर भरोसा किया।

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सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज भी अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन बीजेपी के लिए इनका योगदान अतुल्य है। संसद या संसद के बाहर अपनी मनमोहक भाषण शैली से वो लोगों के दिलों में उतर जाती थीं। इसके साथ ही रणनीति बनाने में माहिर थीं।

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उमा भारती

उमा भारती वैसे तो अब सक्रिय राजनीति से दूर हैं। लेकिन 90 के दशक में इन्होंने पार्टी को ऊंचाई तक पहुंचाने में कठोर श्रम की थीं और उसका असर भी दिखाई दिया। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री होने से पहले मध्य प्रदेश की सीएम भी रहीं।