जो बीहड़ कभी डकैतों के लिए था प्रसिद्ध, वहां बन रहा चंबल एक्सप्रेसवे, बदल जाएगी 3 राज्यों के 6 जिलों की तकदीर

जिन बीहड़ों में कभी डकैतों का आतंक था, उनकी बंदूकों की गोलियों से धरती रक्तरंजित होती थी, वहां अब विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। कभी डकैतों का घर कहे जाने वाले चंबल में अब चंबल एक्सप्रेसवे (Chambal Expressway)जिसे अटल प्रोग्रेसवे (Atal Progress Way) के नाम से जाना जाता है, का निर्माण हो रहा है। अटल प्रोग्रेसवे, चंबल नदी के बराबर में चलते हुए भारत के तीन राज्यों को एक करेगा और उन पिछड़े हुए इलाकों को कवर करेगा, जहां अभी विकास की रफ्तार धीमी है।

किन 3 राज्यों से गुजरेगा चंबल एक्सप्रेसवे
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किन 3 राज्यों से गुजरेगा चंबल एक्सप्रेसवे

चंबल एक्सप्रेसवे मध्यप्रदेश से शुरू होगा और चंबल के बीहड़ों को क्रॉस करते हुए उत्तर प्रदेश में एंट्री करेगी। उत्तर प्रदेश के इटावा से यह क्रॉस करते हुए राजस्थान में एंट्री करेगा। राजस्थान के कोटा में जाकर चंबल एक्सप्रेसवे खत्म हो जाएगा। इसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के आर्थिक रूप से गरीब क्षेत्रों को जोड़ने के लिए भारतमाला परियोजना के तहत विकसित किया जाएगा।और पढ़ें

किन-किन जिलों से होकर गुजरेगा चंबल एक्सप्रेसवे
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किन-किन जिलों से होकर गुजरेगा चंबल एक्सप्रेसवे

चंबल एक्सप्रेसवे यानि कि अटल प्रोगेसवे राजस्थान के कोटा जिले के पास सीमल्या गांव में एनएच-27 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ननावा गांव से जोड़ेगा। पूर्वी छोर पर, यह इटावा के पास चालू आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से शुरू होगा और भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी से होते हुए चंबल नदी के समानांतर चलेगा।

कितना किलोमीटर लंबा होगा चंबल एक्सप्रेसवे
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कितना किलोमीटर लंबा होगा चंबल एक्सप्रेसवे

अटल प्रोग्रेस-वे यानि कि चंबल एक्सप्रेसवे 404 किमी (251 मील) लंबा होगा। चंबल एक्सप्रेसवे छह-लेन एक्सेस-नियंत्रित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा। इस एक्सप्रेसवे से यात्रा का समय वर्तमान के 10-11 घंटों से घटकर केवल 6-7 घंटे रह जाएंगे। इसके अलावा यात्रा की दूरी 490 किमी से घटकर 404 किमी रह जाएगी।

चंबल एक्सप्रेसवे से जुड़ें दो बड़े एक्सप्रेसवे
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चंबल एक्सप्रेसवे से जुड़ें दो बड़े एक्सप्रेसवे

चंबल एक्सप्रेसवे, देश के दो बड़े एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा। इसके जरिए उत्तर प्रदेश से लेकर मुंबई और दिल्ली तक की यात्रा आसान हो जाएगी। 88 किलोमीटर लंबे आगरा-ग्वालियर एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए ग्वालियर के पास एक इंटरचेंज का निर्माण किया जाएगा। पश्चिमी छोर पर, निर्माणाधीन 1350 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए कोटा के पास एक इंटरचेंज का निर्माण किया जाएगा। एक्सप्रेसवे न केवल कोटा से इटावा तक सीधा मार्ग बनाएगा, बल्कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से पश्चिमी भारत तक सीधा मार्ग भी बनाएगा। माल को कोलकाता से मुंबई तक सीधे पहुंचाया जा सकता है, साथ ही गुवाहाटी और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों से वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, अटल प्रोग्रेस-वे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के माध्यम से, जिससे देश के उत्तरी भाग में तेज़, बेहतर और सुरक्षित आवागमन संभव हो सकेगा।और पढ़ें

chambal expressway 5
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chambal expressway 5

यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह से चार लेन वाला, एक्सेस-कंट्रोल्ड और एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट होगा, जिसमें भविष्य में इसे छह लेन में विस्तारित करने का प्रावधान है। मध्य प्रदेश सेक्शन में इसकी चौड़ाई 100 मीटर और राजस्थान और उत्तर प्रदेश सेक्शन में 60 मीटर चौड़ाई होगी। पर्यावरण मंजूरी के बाद परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण जून 2022 में शुरू हुआ और परियोजना के निर्माण के लिए बोली प्रक्रिया दिसंबर 2022 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई। और पढ़ें

चंबल की चमक जाएगी किस्मत
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चंबल की चमक जाएगी किस्मत

चंबल एक्सप्रेसवे उत्तरी मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगा, क्योंकि यहां कई पर्यटन स्थल और प्रमुख पर्यटन स्थल जैसे ग्वालियर और वन्यजीव पार्क, अभ्यारण्य जैसे रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और कुनो राष्ट्रीय उद्यान मौजूद हैं, जो अपने बाघ अभयारण्यों और अन्य जानवरों और पर्यटकों के लिए गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुनो अपने बाघों और हाल ही में पेश किए गए चीतों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटकों के आगमन में वृद्धि से आस-पास के क्षेत्रों और कस्बों के साथ-साथ आस-पास के शहरों का भी विकास होगा। चंबल के इलाके में विकास होगा।और पढ़ें

चंबल एक्सप्रेसवे का बजट
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चंबल एक्सप्रेसवे का बजट

चंबल एक्सप्रेसवे को बनाने में 23,700 करोड़ का खर्च होगा। पहले चंबल एक्सप्रेसवे का बजट 20,000 करोड़ था। चंबल एक्सप्रेसवे को सबसे पहले 2017 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया। सितंबर 2020 में परियोजना की आधारशिला मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी। इसके बाद अगस्त 2021 में भारत सरकार ने परियोजना को मंजूरी दी और इसे भारतमाला परियोजना के चरण-I में शामिल किया।और पढ़ें

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