कब बसाया गया था दिल्ली का कनॉट प्लेस, सिर्फ 4 साल में बदल गया था नजारा
कनॉट प्लेस आज भले ही दिल्ली का दिल कहा जाता हो। यहां पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें और दुनियाभर की कंपनियां काम करती हों। खाने-पीने के लिए एक से बढ़कर एक रेस्तरां और होटल मौजूद हों। लेकिन आज से सिर्फ 120 साल पहले तक यहां कुछ भी नहीं था। चलिए समझते हैं -
आज का कनॉट प्लेस
आज का कनॉट प्लेस दिल्ली के सबसे बड़े मार्केट में से एक है। यह सांस्कृतिक और व्यावसायिक गतिविधियों का हब है। कनॉट प्लेस का यह मॉडर्न लुक उसे अंग्रेजों ने दिया है।
गांव था कनॉट प्लेस
जिस जगह पर आज कनॉट प्लेस बसा है, वहां पहले गांव हुआ करता था। अंग्रेजों ने गांव की इस जमीन पर जब कनॉट प्लेस बसाया तो उस समय किसी ने आज के कनॉट प्लेस की कल्पना भी नहीं की होगी।
अंग्रेजों से पहले
अंग्रेजों से पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग राजा थे। हालांकि, दिल्ली के सुल्तान को हिंदुस्तान का शहंशाह कहा जाता था। लेकिन तब दिल्ली, आज के पुरानी दिल्ली तक ही सीमित थी।
1911 में दिल्ली आई राजधानी
1911 से पहले ब्रिटिश इंडिया की राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) थी। साल 1911 में राजधानी को दिल्ली लाया गया और दिल्ली का समग्र विकास शुरू हुआ। यह तस्वीर मेटा AI से जेनरेट की गई है।
कब बना कनॉट प्लेस
कनॉट प्लेस को 1929 से 1933 के बीच अंग्रेजों ने बसाया। इसे रॉबर्ट टोर रसेल (Robert Tor Russell) ने डिजाइन किया। कनॉट प्लेस का डिजाइन बाथ में रॉयल क्रीसेंट से इंस्पायर्ड है। यह तस्वीर मेटा AI से जेनरेट की गई है।
नाम कैसे पड़ा
कनॉट प्लेस का नाम ब्रिटिश रॉयल फैमिली के एक सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया है। आज कनॉट प्लेस 20वीं सदी की शुरुआत के एक महत्वपूर्ण आर्किटेक्चरल लैंडमार्क रूप में खड़ा है। यह तस्वीर मेटा AI से जेनरेट की गई है।
कनॉट प्लेस का मालिक कौन
आजादी के बाद कनॉट प्लेस की जमीन का मालिकाना हक भारत सरकार के पास है। हालांकि, यहां के अलग-अलग ब्लॉक और बिल्डिंगों मालिक अलग-अलग लोग हैं।
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