क्या आप जानते हैं गोदान-गबन के लेखक प्रेमचंद पहले किसी और नाम से लिखते थे, चलिए जानते हैं

मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनका सात्यिक नाम प्रेमचंद था। लेकिन प्रेमचंद से पहले वे किसी और नाम से रचनाएं लिखा करते थे। आइए जानते हैं कि उनका पहला साहित्यिक नाम क्या था?

मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक नाम
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​मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक नाम​

मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के जाने माने लेखकों में से एक हैं। उन्होंने गोदान-गबन जैसे कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखे हैं। प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे प्रेमचंद के नाम से रचनाएं लिखते थे, यह उनका साहित्यिक नाम था। धनपत राय ने यह नाम उन्होंने बहुत सालों बाद अपनाया था। क्या आप जानते हैं कि प्रेमचंद से पहले भी उन्होंने किस नाम से रचनाएं लिखी।और पढ़ें

प्रेमचंद से पहले थे नवाब राय
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​प्रेमचंद से पहले थे नवाब राय​

धनपत राय प्रेमचंद नाम से पहले नवाब राय नाम से रचनाएं लिखते थे। उन्होंने सरकारी सेवा के दौरान कहानी लिखना शुरू किया था, उस समय वे नवाब राय से लिखा करते थे। लेकिन उन्हें ये नाम छोड़ना पड़ गया था।

नवाब राय नाम क्यों छोड़ा
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​नवाब राय नाम क्यों छोड़ा​

प्रेमचंद ने नवाब राय के नाम से अपना पहला कहानी-संग्रह 'सोजे वतन' (राष्ट्र का विलाप) लिखा। जिसे अंग्रेजी सरकार ने जब्त कर लिया था और बिना अनुमति के लिखने पर बैन भी लगा दिया था। जिसके बाद उन्हें अपना यह नाम छोड़ना पड़ा।

प्रेमचंद नाम क्यों चुना
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​प्रेमचंद नाम क्यों चुना​

मुंशी दया नारायण निगम ने धनपत राय को प्रेमचंद के नाम से रचनाएं लिखने की सलाह दी, जो उन्हें पसंद आई। जिसके बाद उन्होंने प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू कर दिया। हालांकि कहा जाता है कि उनके बहुत से दोस्त उन्हें जीवभर नवाब के नाम से ही संबोधित करते थे।

हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट
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​हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट​

मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य का उपन्यास सम्राट कहा जाता है। यह नाम उन्हें बंगाल के फेमस उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उनकी रचनाओं को देखकर दिया था। उनकी रचनाओं में आमजन की भावनाओं, समस्याओं और परिस्थितियों की झलक मिलती थी। गोदान प्रेमचंद का सबसे ज्यादा फेमस उपन्यास हुआ था। जिसका विश्व साहित्य में भी बहुत अहम स्थान है।और पढ़ें

मंगलसूत्र थी आखिरी रचना
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​मंगलसूत्र थी आखिरी रचना​

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के लमही गांव में हुआ था। गांव में ही उनका बचपन बीता था। प्रेमचंद अपने जीवन के आखिरी दिनों में मंगलसूत्र उपन्यास लिख रहे थे, जिसे वो पूरा नहीं कर सके थे। लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 में उनका निधन हो गया था।

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