डॉ. मनमोहन सिंह के वो 10 बडे़ विचार, जिसमें झलकती है उनकी ईमानदारी, दे जाती है राजनीति की बड़ी सीख
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने से कुछ महीने पहले मनमोहन सिंह ने कहा था कि उनका नेतृत्व कमजोर नहीं है और इतिहास उनके प्रति मीडिया द्वारा उस समय प्रकाशित की गई बातों से कहीं अधिक दयालु होगा। मनमोहन सिंह ने जनवरी 2014 में दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘मैं यह नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं... मैं ईमानदारी से यह मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में अधिक दयालु होगा...। राजनीतिक मजबूरियों के बीच मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है।’’
बहुसंस्कृतिवाद पर डॉ. मनमोहन सिंह के विचार
हमें सभ्यताओं के बीच संवाद की आवश्यकता है, और हमें; बहुसंस्कृतिवाद, विविधता के प्रति सम्मान, सहिष्णुता, विविध आस्थाओं के प्रति सम्मान की आवश्यकता है- डॉ. मनमोहन सिंह
धर्मनिरपेक्षता पर मनमोहन सिंह के विचार
एकता और धर्मनिरपेक्षता सरकार का आदर्श वाक्य होगा, हम भारत में विभाजनकारी राजनीति बर्दाश्त नहीं कर सकते|- डॉ. मनमोहन सिंह
राज्य को लेकर मनमोहन सिंह क्या सोचते थे
राज्य के मामले में व्यक्ति को भावनाओं से परिपूर्ण रहना पड़ता है, लेकिन कोई व्यक्ति कभी भी भावुक नहीं हो सकता- डॉ. मनमोहन सिंह
भारत को लेकर मनमोहन सिंह के विचार
मेरा हमेशा से मानना रहा है, कि भारत ईश्वर द्वारा प्रदत्त अपार उद्यमशीलता कौशल वाला देश है- सरदार मनमोहन सिंह
आर्थिक विकास को लेकर क्या कहते थे मनमोहन सिंह
हमारी दृष्टि सिर्फ आर्थिक विकास की नही है, बल्कि एक ऐसे विकास की भी है, जो आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाए- डॉ. मनमोहन सिंह
पूंजीवाद को लेकर क्या थी मनमोहन सिंह की सोच
पूंजीवाद ऐतिहासिक रूप से एक बहुत ही गतिशील शक्ति रहा है और उस बल के पीछे तकनीकी प्रगति, नवाचार, नए विचार, नए उत्पाद, नई प्रौद्योगिकियां और टीमों के प्रबंधन के नए तरीके हैं।- डॉ. मनमोहन सिंह
जीवन को लेकर मनमोहन सिंह के विचार
हारने वाला वह है, जिसने अपने सपनों को छोड़ दिया है, जब तक आप कोशिश कर रहे हैं, आप अभी तक हारे नहीं हैं- डॉ. मनमोहन सिंह
कमजोर पीएम के सवाल पर क्या बोले थे मनमोहन सिंह
मैं नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं.... मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में अधिक दयालु होगा.... राजनीतिक मजबूरियों को देखते हुए, मैंने वह सर्वश्रेष्ठ किया है जो मैं कर सकता था। मैंने परिस्थितियों के अनुसार जितना कर सकता था, उतना किया है...मैंने क्या किया है या क्या नहीं किया है, इसका फैसला इतिहास को करना है- डॉ. मनमोहन सिंहऔर पढ़ें
पीएम पद को लेकर मनमोहन सिंह के विचार
हर दिन प्रधानमंत्री भारत के लोगों का 24 घंटे का सेवक होता है- डॉ. मनमोहन सिंह
पाकिस्तान को जब मनमोहन सिंह ने किया था बेनकाब
हम सभी जानते हैं, कि आज दुनिया में आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान है। विश्व समुदाय को इस कड़वी सच्चाई से रूबरू होना होगा- डॉ. मनमहन सिंह
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