दिल्ली-जयपुर ही नहीं, देश में इन 5 जगह हैं जंतर मंतर, देखें तस्वीरें
ये तो आप जानते ही हैं कि दिल्ली और जयपुर में जंतर-मंतर हैं। आपमें से बहुत से लोग यहां घूमने गए भी होंगे। यह बड़े ही दिलचस्प खगोलीय स्थल हैं। दिल्ली और जयपुर सहित देश में पांच जंतर मंतर हैं, जो आपको जरूर देखने चाहिए। यह सभी जंतर-मंतर वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं। 18वीं शताब्दी में बने यह वेधशालाएं, आज भी खड़ी हैं और बताती हैं कि हमारे पूर्वजों का खगोलीय ज्ञान कितना समृद्ध था।


UNESCO विश्व धरोहर
देश में 5 जंतर-मंतर हैं और सभी जंतर-मंतर वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं। इनमें से एक यानी जयपुर का जंतर-मंतर तो साल 2010 से यूनेस्को की विश्व धरोहर श्रेणी में है। चलिए जानते हैं सभी पांच जंतर-मंतर के बारे में


जयपुर का जंतर-मंतर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में मौजूद जंतर-मंतर सभी पांच में से सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा है। इस जंतर मंतर को 1734 में राजपूत राजा सवाई जय सिंह ने बनाया था। इन्हीं जयसिंह ने जयपुर शहर की भी स्थापना की थी। जयपुर के जंतर-मंतर में 19 एस्ट्रोनॉमिकल इंस्ट्रूमेंट मौजूद हैं। यहां पर दुनिया का सबसे बड़ा सन डायल भी मौजूद है।
दिल्ली का जंतर-मंतर
दिल्ली के जंतर-मंतर का निर्माण 1724 में हुआ था और यह जयपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा जंतर-मंतर है। यहां पर कई तरह के एस्ट्रोनॉमिकल इंट्रूमेंट्स हैं, जिसमें सन डायल भी मौजूद है। दिल्ली के जंतर-मंतर में बिल्डिंगों को इस तरह से बनाया गया है कि यह एस्ट्रोनॉमिकल डाटा को बहुत ही अच्छे तरीके से दिखा सकता है और ग्रहों की स्थिति की सटीक जानकारी देता है।
उज्जैन का जंतर-मंतर
मध्य प्रदेश के उज्जैन में बना जंतर-मंतर 1725 में बनकर तैयार हुआ था। यह एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पर बहुत ही बड़ा सन डायल है। उज्जैन की यह ऑब्जर्वेटरी खगोलीय घटनाओं को ट्रैक करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
वाराणसी का जंतर-मंतर
वाराणसी का जंतर-मंतर 1737 में बनकर तैयार हुआ था। अन्य जंतर-मंतर के मुकाबले वाराणसी का जंतर-मंतर छोटा है और यहां पर कई तरह के एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी हैं। अन्य जंतर-मंतर की तरह इसका निर्माण भी खगोलीय घटनाओं की गणना के लिए किया गया है।
मथुरा का जंतर-मंतर
उत्तर प्रदेश के मथुरा में साल 1711 में जंतर-मंतर बनकर तैयार हुआ था। यह पांचों में से सबसे पुराना जंतर-मंतर है। राजपूत राजा जय सिंह द्वितीय के राज की शुरुआत में इसे बनाया गया था। बाकी सभी जंतर-मंतर के मुकाबले यह सबसे खराब स्थिति में है और रखरखाव न के बराबर है।
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