वाटर मेट्रो से लेकर सबसे ऊंचा रेलवे पुल....पिछले 8 साल में देश को मिलीं कई बेमिसाल चीजें
पिछले 8 वर्षों के दौरान देश में कई बेमिसाल चीजें बनी हैं, खास तौर पर ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में देश ने अभूतपूर्व तरक्की की है। देश में पहली बार ऐसे साधनों की शुरुआत हुई जिन्हें भारत के लिए दूर की कौड़ी समझा जाता था। तकनीक के क्षेत्र में भारत ने एक बड़ी छलांग लगाते हुए पश्चिमी देशों को भी प्रभावित किया है। इस दौरान देश में क्या-क्या बना जानते हैं।


वंदे भारत एक्सप्रेस
इन 8 वर्षों में सबसे बड़ी क्रांति रही रेलवे नेटवर्क को लेकर। तेज गति की ट्रेनों ने क्रांति कर दी। इसमें वंदे भारत ट्रेन का सबसे बड़ा योगदान रहा जो 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही हैं और देशभर में इसका नेटवर्क बिछ रहा है। पीएम मोदी ने 25 अप्रैल को केरल में नई वंदे भारत को हरी झंडी दिखाई। सबसे पहली वंदे भारत दिल्ली-वाराणसी के बीच फरवरी 2019 को शुरू की गई थी।


वाटर मेट्रो
पीएम मोदी ने 25 अप्रैल को केरल के कोच्चि में देश की पहली वाटर मेट्रो का उद्घाटन किया था। इससे यहां के लोगों का सफर बेहद आसान हो गया है। पहले चरण में वाटर मेट्रो आठ इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड नावों के साथ दो रूटों, हाई कोर्ट से वायपिन और विट्टिला से कक्कनाड के बीच शुरू होगी। हाई कोर्ट से वायपिन रू के लिए किराया 20 रुपये निर्धारित किया गया है। विट्टिला से से कक्कानाड रूट का किराया 30 रुपये होगा।
रैपिड रेल
देश की पहली रैपिड रेल जल्द ही दिल्ली से मेरठ के बीच चलेगी। इसके परिचालन को लेकर जल्द ही घोषणा हो सकती है। साहिबाबाद से दुहाई के बीच रैपिड ट्रेन के लिए ट्रैक तैयार है और इस पर ट्रायल भी हो रहे हैं। ये ट्रैक 17 किलोमीटर लंबा है। मेरठ तक का प्रोजेक्ट 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
चेनाब में सबसे ऊंचा रेलवे पुल
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के अंतर्गत चेनाब पर विश्व का सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज बन रहा है। इस पर ट्रॉली ट्रायल सफल परीक्षण भी हो चुका है। रेल मंत्री इस पुल को इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना बता चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज जल्द ही काम करने लगेगा। यह पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर लंबा है, नदी के ऊपर 359 मीटर (1,178 फीट) की ऊंचाई पर चेनाब नदी तक फैला है। यह 35,000 करोड़ रुपये के उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) का हिस्सा है।
बनिहाल-काजीगुंड टनल
जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल पर्वतमाला में यह सुरंग बन रही है। इसकी लंबाई 8.45 किमी है और यह बनिहाल-काजीगुंड को जोड़ेगी। इस पर 2100 करोड़ रुपये का खर्च आया है। यह जवाहर सुरंग के 400 मीटर नीचे बनी है और इसे आम वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। पूरी तरह शुरू होने के बाद जम्मू-श्रीनगर के बीच डेढ़ घंटे की बचत होगी।
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