पहाड़ी फलों की मंडी, चाय के बागान और बेइंतहा खूबसूरती; ये शहर नहीं दिल है
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में रामगढ़, नैनीताल, मुक्तेश्वर आदि जगहों को फलों की टोकरी कहा जाता है। फलों की इस टोकरी को एक बाजार भी चाहिए तो इन फलों की मंडी यहीं बीच में बसा एक छोटा सा शहर है, जिसका नाम भवाली है। भवाली समुद्रतल से 1654 मीटर की ऊंचाई पर बसा कुमाऊं क्षेत्र का गेटवे है। यहां चाय के बागान भी हैं और झीलों, घने जंगलों, फलों के बागानों से यहां की बेइंतहां खूबसूरती किसी को भी दीवाना बना देती है।
छोटा शहर, बड़ा जंक्शन
भवाली को भोवाली और भुंवाली नाम से भी पुकारा जाता है। यह छोटा सा शहर मशहूर हिल स्टेशन नैनीताल से सिर्फ 11 किमी दूर है। यह छोटा सा शहर कई हिल स्टेशन और शहरों को जोड़ता है। यह एक जंक्शन की तरह है, जहां से नैनीताल मुक्तेश्वर, भीमताल, अल्मोड़ा, रानीखेत के लिए रास्ते जाते हैं। भवाली यहां के मशहूर पर्यटन स्थलों नैनीताल, रानीखेत, भीमताल, मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा आदि इलाकों में जाने वालों के लिए यहां का प्रवेश द्वार है। भवाली बहुत ही खूबसूरत है। चलिए जानते हैं भवाली के बारे में कुछ और...
पहाड़ों का प्रवेश द्वार
भवाली प्राकृतिक खूबसूरती का दूसरा नाम है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता आपका मन मोह लेगी। यहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और ठंडा मौसम आपको दीवाना बना देगा। पहाड़ों से मैदानों की ओर जाने वाले लोगों के लिए भवाली अंतिम बाजार है। यहां से पहाड़ी सामान की खरीद करके लोग आगे जाते हैं। मैदानी इलाकों से आने वालों के लिए यह पहाड़ों का प्रवेश द्वार है।
कैची मंदिर का पैदल रास्ता
भवाली पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा शहर है। घाटी में बसे भवाली में सर्दियों के दिनों धूप बहुत कम पहुंचती है, जिसके कारण यहां बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। यहां से करीब 8 किमी दूर नीम करौली बाबा का कैंची धाम मंदिर है। भवाली से लोग कैची मंदिर पैदल भी पहुंच जाते हैं।
फलों के टोकरे का दिल
जैसा कि आप जानते ही हैं, नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर, रामगढ़ आि को फलों का टोकरा कहा जाता है। यहां कई तरह के फल होते हैं। इन पहाड़ी फलों के लिए भवाली सबसे बड़ी मंडी है। भवाली एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ मैदानों से जुड़ा है। इसलिए यहां पहाड़ी फलों खरीदने वाले बहुत ग्राहक मिल जाते हैं।
बाजार की रौनक भी खूब है
भवाली भले ही छोटा सा शहर हो, लेकिन यहां से नैनीताल और भीमताल बहुत की करीब हैं। जिन पर्यटकों को नैनीताल-भीमताल में जगह नहीं मिलती वह भवाली आ जाते हैं। यहां पर कई अच्छे होटल की व्यवस्था है। यहां के बाजार में मैदानी बाजारों की तरह सामान आसानी से मिल जाता है और पहाड़ी फलों के लिए तो यह मशहूर है ही।
घोड़ाखाल मंदिर भी यहां
उत्तराखंड क्षेत्र के सबसे बड़े न्याय देवता गोलू देव का घोड़ाखाल मंदिर भी इसी भवाली में है। श्रद्धालु इस मंदिर में आकर अपनी मनोकामना की चिट्ठियां बांधकर जाते हैं। कुछ श्रद्धालु तो स्टांप पेपर पर मनोकामनाएं लिख जाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर यहां घंटी चढ़ाने का रिवाज है। यहीं पर देश का सबसे प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल भी है।
स्यामखेत टी गार्डन
स्यामखेत टी गार्डन यहां गोलू देवता मंदिर के पास में ही मौजूद है। यहां की खूबसूरती अद्भुत है। यहां बहुत ही अच्छी क्वालिटी की चाय का उत्पादन होता है, जिसमें ऑर्गेनिक चाय भी शामिल है, जिसका निर्यात किया जाता है। यहां की चाय को उत्तरांचल चाय के नाम से जाना जाता है।
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