घंटेवाला : पुरानी दिल्ली की मुगलकालीन मिठाई की दुकान फिर खुली, 'सोहन हलवा' है यहां की पहचान
Ghantewala Chandni Chowk Delhi: दिल्लीवालों के लिए बड़ी खुशखबरी है चांदनी चौक में लोगों की मनपसंद मिठाई की दुकान घंटेवाला करीब 9 साल बाद फिर से खुल गई है, गौर हो कि लाला सुखलाल जैन द्वारा 1790 में स्थापित 'घंटेवाला' दुकान को घटती बिक्री के कारण 2015 में बंद कर दिया गया था यह दुकान पुरानी दिल्ली के लोकप्रिय स्थलों में से एक थी, एक बार फिर से घी से बना 'सोहन हलवा' और 'कराची हलवा' के साथ रागी के लड्डू का स्वाद चखने को मिलेगा।
पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में मुगलकालीन दुकान 'घंटेवाला'
पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में मुगलकालीन दुकान 'घंटेवाला' (Ghantewala Sweet Delhi) एक बार फिर खुल गई हैं जहां फिर से घी से बना 'सोहन हलवा' और 'कराची हलवा' के साथ रागी के लड्डू का स्वाद चखने को मिलेगा। घंटेवाला को साल 1790 में लाला सुखलाल जैन ने शुरू किया था। यह दुकान जिस समय शुरू हुई थी उस वक्त अमेरिका में जॉर्ज वॉशिंगटन राष्ट्रपति थे वहीं उस दौर में वियना कि गलियों में मोजार्ट के संगीत की धूम मची हुई थी यानी दिल्ली की ये प्रसिद्ध मिठाई की दुकान बहुत पुराना इतिहास अपने में समेटे है, इस दुकान को घटती बिक्री के कारण 2015 में बंद कर दिया गया था।
लाला सुखलाल जैन हाथों में घंटी लेकर उसे बजाते थे
घंटेवाला के संस्थापक लाला सुखलाल जैन आमेर से दिल्ली आए थे और यहां उन्होंने ठेले पर मिश्री-मावा बेचना शुरू किया वह हाथों में घंटी लेकर उसे बजाते और घर-घर जाकर अपनी मिठाई बेचते थे लोग उन्हें 'घंटेवाला' के नाम से जानने लगे।
1790 ये दुकान स्थापित की और इसका नाम 'घंटेवाला' रखा
समय बीतने के साथ वो लोकप्रिय होते गए और लोग उन्हें 'घंटेवाला' के नाम से जानने लगे फिर जाकर उन्होंने साल 1790 ये दुकान स्थापित की और इसका नाम 'घंटेवाला' रखा, यहां की मिठाइयों का स्वाद लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि आज भी इसकी भारी डिमांड है।
दुकान पुरानी दिल्ली के लोकप्रिय स्थलों में से एक थी
बता दें कि लाला सुखलाल जैन द्वारा 1790 में स्थापित 'घंटेवाला' दुकान को घटती बिक्री के कारण 2015 में बंद कर दिया गया था। यह दुकान पुरानी दिल्ली के लोकप्रिय स्थलों में से एक थी।
मुगलकालीन दुकान अपने पुराने पते पर फिर से खोल दी गई
हालांकि, 2024 में उत्पादों की ऑनलाइन बढ़ती मांग को देखते हुए यह मुगलकालीन दुकान अपने पुराने पते पर फिर से खोल दी गई है और इस बार दुकान का नया स्वरूप दिया गया है, लेकिन मिठाइयों की सुंगध वही पुरानी है।
'अब हम ऐसी मिठाइयां कहां खाएंगे?'
'घंटेवाला' के मालिक सुशांत जैन ने बताया, 'जब हमें 2015 में दुकान बंद करनी पड़ी तो मेरा पूरा परिवार बेहद दुखी था। कई ग्राहक हमारे पास आकर शिकायत करते थे कि 'अब हम ऐसी मिठाइयां कहां खाएंगे, खासकर हमारा पसंदीदा सोहन हलवा?'
'फैसला किया कि हमें फिर से अपनी दुकान को वहीं खोलना चाहिए'
जैन ने कहा, 'आखिरकार, दो-तीन साल पहले हमने अपनी परंपरागत मिठाइयों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया और पूरे भारत में ग्राहकों से हमें जो प्रतिक्रिया मिली, वह बेहद ही उत्साहजनक थी। तभी हमने फैसला किया कि हमें फिर से अपनी दुकान को वहीं खोलना चाहिए।'
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