Toll Tax Free: हाईवे-एक्सप्रेस-वे पर नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स! बेधड़क सफर पर निकल जाएं आप; समझिए पूरा प्लान
अगर आप भी नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर अक्सर सफर के लिए निकल जाते हैं तो ये खबर आपके लिए है। एनएचएआई ने क्लोज टोलिंग सिस्टम का अप्रूवल दे दिया है। अब लोकेशन से 20 किमी. तक टोल नहीं लिया जाएगा। आईये जानतें हैं यह नियम क्या है?
वाहन चालकों के लिए खुशखबरी
नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर अक्सर आप सफर करते होंगे। तो आपके लिए एक खुशखबरी है। अब एक सिस्टम के तहत आपको टोल नहीं देना होगा। हालांकि, यह सुविधा टैक्सी नंबर वाले वाहनों के लिए नहीं होगी, बल्कि प्राइवेट वाहनों के लिए मिलेगी।
क्लोज टोलिंग सिस्टम का अप्रूवल
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस पर क्लोज टोलिंग सिस्टम का अप्रूवल दे दिया है। इसमें जितना वाहन सफर करेंगे, उतनी ही दूरी के लिए टोल शुल्क चुकाना होगा। अभी तक ओपन टोलिंग में एक तरफ से एंट्री करने के बाद पूरे स्ट्रेच का टोल चुकाना पड़ता था। इस नए सिस्टम से पब्लिक को बहुत राहत मिलेगी।
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम
सरकार के मुताबिक, यदि किसी गाड़ी में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लगा है और वह काम कर रहा है तो उस गाड़ी को प्रतिदिन 20 किलोमीटर तक हाईवे या एक्सप्रेसवे पर चलने के लिए तरह का टोल टैक्स नहीं चुकाना होगा। नोटिफिकेशन में कहा गया है एक पायलट प्रोजेक्ट कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर सेक्शन और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार सेक्शन पर किया गया है। और पढ़ें
फास्टटैग ब्लैकलिस्ट होने पर देना होगा टोल
फास्टटैग ब्लैकलिस्ट होने की स्थिति में ही पूरे एक्सप्रेसवे का टोल शुल्क देना होगा। मान लीजिए यदि कोई दिल्ली से चलकर बागपत में उतर जाता है, लेकिन उसका फास्टटैग (FASTtag) ब्लैक लिस्ट है तो उसे देहरादून तक का टोल देना होगा। उधर, वाहन चालकों को अलर्ट करने के लिए NHAI इसके लिए लिए हर एंट्री प्वाइंट पर बोर्ड भी लगाएगा, ताकि चालक इन नियम से पहले ही अलर्ट हो जाएं।और पढ़ें
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह की प्लानिंग
सरकार के प्लान के मुताबिक, ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल (Electronic Toll) संगह लागू किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के लिए दुनिया के तमाम देशों से प्रस्ताव मांगे हैं। तो आइये जानते जीएनएसएस लागू होने के बाद किस विधि से टोल वसूला जाएगा और इसके लिए कौन सी तकनीकी कारगर साबित होने वाली है?और पढ़ें
टोल कलेक्शन में होगा इजाफा
इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (Electronic Toll Collection नए सिस्टम के लागू होने से देश के कुल टोल कलेक्शन में 10,000 करोड़ रुपये तक की वृद्धि हो सकती है। फिलहाल, आंकड़ों के आधार पर सालाना टोल संग्रह 35 फीसदी बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। लेकिन, अब पुराने ढर्रे को खत्म कर नए आधुनिक तकनीकी का उपयोग होने की गुंजाइश दिख रही है। और पढ़ें
फास्टैग व्यवस्था के भीतर होगी जीएनएसएस
इस कदम का उद्देश्य नेशनल हाईवे पर फिजिकल टोल बूथों को खत्म करना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) मौजूदा फास्टैग व्यवस्था (Fastag System) के भीतर ही जीएनएसएस (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने के प्लान पर कार्य कर रहा है।
हाइब्रिड मॉडल का उपयोग
जानकारी के मुताबिक, शुरुआती दौर में हाइब्रिड मॉडल का उपयोग किया जाएगा, जहां आरएफआईडी-आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों एक साथ काम करेंगे। इस तकनीकी को ट्रायल करने के लिए हाईवे निर्माण होने के लिए हाईब्रिड मॉडल (एचएएम) को लचीला और बाजार संचालित बनाया जा सकता है।
कर्मचारी मुक्त होंगे टोल बूथ
जीएनएसएस के आने से टोल बूथ पूरी तरह कर्मचारी मुक्त होंगे। पुराने सिस्टम में टोल प्लाजा पर ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत पड़ती थी। जीएनएसएस सिस्टम से कारों में सैटालाइट और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर तय दूरी का आंकलन किया जाए और उस दूरी में पड़ने वाले टोल के आधार टोल टैक्स वसूला जाएगा।
सटीक ट्रैकिंग से बनेगी बात
फास्टैग से अलग, सैटेलाइट-आधारित जीपीएस टोल कलेक्शन सिस्टम, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर काम करता है, जो वाहनों की सटीक ट्रैकिंग करने में सक्षम होगा। ये सिस्टम दूरी के आधार पर सटीक टोल कैलकुलेशन ( Toll Calculation) के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) भारत के जीपीएस एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN) जैसी तकनीकी का इस्तेमाल करेगा।और पढ़ें
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