तीन राज्य और 16 शहरों से होकर गुजरेगा गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, नेपाल तक जाना हो जाएगा आसान
आज की तारीख में जिस तरह से एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश को फायदा हो रहा है, वैसा ही फायदा भविष्य में बिहार को होने वाला है। बिहार के चोरों ओर से एक्सप्रेसवे ही एक्सप्रेसवे निकलने वाले हैं। जिसमें से कुछ बिहार से शुरू होंगे तो कुछ उत्तर प्रदेश से शुरू होकर पश्चिम बंगाल तक जाएंगे। ऐसा ही एक एक्सप्रेसवे है, गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, जिसपर फिलहाल काम जारी है। गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से सबसे ज्यादा बिहार को फायदा होगा। इस एक्सप्रेसवे के जरिए नेपाल जाना भी आसान हो जाएगा।
कहां-कहां से गुजरेगा गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में गोरखपुर रिंग रोड (एनएच-27) से शुरू होगा और राज्य में लगभग 84.3 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इसके बाद, यह बिहार के गोपालगंज में प्रवेश करेगा और अंत में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में समाप्त होगा। एक्सप्रेसवे बिहार और बंगाल में क्रमशः लगभग 416.2 किलोमीटर और 18.97 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इस क्रम में गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, गोपालगंज, मोतिहारी, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज, इस्लामपुर, बागडोगरा और सिलीगुड़ी से गुजरेगा।
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से नेपाल जाना हो जाएगा आसान
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे भारत-नेपाल सीमा के लगभग समानांतर चलेगा। यह यात्रा के समय और दूरी दोनों को 14-15 घंटे से घटाकर केवल 8-9 घंटे कर देगा और 640 किमी (400 मील) से 519 किमी (322 मील) कर देगा। चूंकि यह भारत-नेपाल सीमा के करीब से गुज़रेगा, इसलिए यह परियोजना देश के लिए रणनीतिक महत्व की है, क्योंकि इससे नेपाल को भी लाभ होगा।
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर कितना होगा खर्च
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को 32,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा और इसे 2025 तक पूरा किया जाएगा, जो पहले 2028/29 निर्धारित किया गया था। भारतमाला परियोजना का हिस्सा, गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसे कनेक्टिविटी बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया रहा है।
असम तक जाएगा गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक परिवर्तनकारी परियोजना है जो उत्तर-मध्य भारत और पूर्वोत्तर के बीच कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार करेगा। भविष्य में इसे असम की राजधानी और पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी तक बढ़ाया जाएगा।
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से फायदा
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने, रियल एस्टेट विकास को बढ़ावा मिलने और इससे गुजरने वाले क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा होने की उम्मीद है। एक्सप्रेसवे का पूरा होना उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
कितने लेन का है गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे 519 किलोमीटर लंबा यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है। वर्तमान में, यह एक चार लेन वाला एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे है जिसे भविष्य में छह लेन वाले एक्सप्रेसवे में विस्तारित किया जा सकता है। एक्सप्रेसवे में बेहतर सुरक्षा और प्रदर्शन के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे कहां-कहां से होगा कनेक्ट
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे न केवल गोरखपुर से पूर्वोत्तर भारत के लिए एक सीधा मार्ग बनाएगा, बल्कि अन्य एक्सप्रेसवे के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र और नेपाल के पूर्वी हिस्से को सीधे भारत के बाकी हिस्सों से भी जोड़ेगा। उदाहरण के लिए, गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे की मदद से गुवाहाटी और काठमांडू से दिल्ली के साथ सीधा संपर्क बनाया जाएगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की मदद से वित्तीय राजधानी के साथ संपर्क बनाया जाएगा। यह नेटवर्क पूर्वोत्तर क्षेत्र और नेपाल के बीच तेज, सुरक्षित और बेहतर आवागमन सुनिश्चित करेगा।
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