1942 में था सिर्फ एक कैफे, आज बन गया रेस्त्रां चेन; तस्वीरों में देखें ऐतिहासिक सफर की कहानी

करीब सात दशक पहले शुरू हुआ एक कैफे आज इतना मशहूर हो गया है कि इसके कई सारे ब्रांच खुल गए हैं और यह एक रेस्त्रां चेन बन गया है। चलिए, इस कैफे के ऐतिहासिक सफर के बारे में आपको बताते हैं। यह कैफे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के दिल कहे जाने वाले जगह कनॉट प्लेस में स्थित है, जिसका इतिहास विभाजन से पहले का रहा है।

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1942 में शुरू हुआ था कैफे

दिल्ली के कनॉट प्लेस में वर्ष 1942 में दिल्ली का पहला कैफे खुला और इसका नाम यूनाइटेड कॉफी हाउस (UCH) रखा गया। इस प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान का इतिहास विभाजन से पहले का रहा है। इस कैफे की स्थापना लाला हंस राज कालरा ने की थी। जब इसकी स्थापना हुई थी, तब यह न केवल कॉफी हाउस था, बल्कि यहां कई तरह के विचारों का आदान प्रदान होता था। इस कॉफी हाउस में देश के बड़े-बड़े हस्तियों का जमावड़ा लगता था।

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क्यों शुरू हुआ था यूसीएच?

दरअसल, जिस वक्त कॉफी हाउस की स्थापना की गई थी, उस वक्त दिल्ली में कई सारे लोगों के इकट्ठे बैठने की जगह बहुत कम हुआ करती थी, जिस वजह से लोग अपने विचारों का आदान प्रदान नहीं कर पाते थे, लाला हंस राज कालरा ने इसे पहचाना और यूनाइटेड कॉफी हाउस की स्थापना कर दी। इसकी स्थापना के पीछे यह उद्देश्य था कि यहां कवियों, कलाकारों, नेताओं, नौकरशाहों समेत अन्य लोगों को बैठने के लिए जगह मिले।

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​तीसरी पीढ़ी के लोग चला रहे यूसीएच

यूनाइटेड ग्रुप के प्रबंध निदेशक और इस ब्रांड के संरक्षक आकाश कालरा ने टाइम्स नाउ डिजिटल से बातचीत में इस कैफे के ऐतिहासिक सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वह यूनाइटेड कॉफी हाउस चलाने वाली तीसरी पीढ़ी के हैं और संस्थापक लाला हंस राज कालरा के पोते हैं।

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यूसीएच की ऐतिहासिक कहानी

आकाश कालरा ने बताया कि वह समय था, जब ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन हो रहे थे। मेरे दादाजी जानते थे कि ऐसी बहुत कम जगहें हैं जहां लोग बैठकर विचारधाराओं का आदान-प्रदान कर सकें। उन्होंने बताया कि हमारे परिवार का पाकिस्तान में शराब का कारोबार था और दिल्ली के चांदनी चौक में शराब की दुकान थी।

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जल्द शूरू होगा 10वां रेस्त्रां

आकाश कालरा ने बताया कि समय बीतता गया और यूनाइटेड कॉफी हाउस का विस्तार होता गया। जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता रहा, इसमें काम करने वाले लोग आते गए। कई तरह के व्यंजन मिलने गए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 50-60 के दशक में यूसीएच मैचमेकिंग प्वाइंट बन गया। अक्सर यहां लड़के-लड़की आते थे और शादी की बात पक्की हो जाती थी। उन्होंने कहा कि यूसीएच ने काफी लंबा सफर तय किया है और 1942 में शुरू हुआ एक कैफे जल्द ही अपना 10वां रेस्त्रां शुरू करने जा रहा है।