कैसे बाराबंकी से गए परिवार ने बदल दिया ईरान का इतिहास, उदार देश को बनाया कट्टर इस्लामिक मुल्क

1979 में ईरान एक उदार मुस्लिम देश था। लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के एक परिवार ने इस देश की दिशा हमेशा के लिए बदल दी। खामेनेई परिवार ने यहां अपनी गहरी जड़े जमाते हुए ईरान को एक कट्टरपंथी इस्लामिक देश बना दिया। अगर खामेनेई के दादा अहमद मुसावी हिंदी ईरान नहीं गए होते तो आज शायद ईरान की तस्वीर ही कुछ और होती। यह अजीब लेकिन दिलचस्प है कि कैसे उत्तर प्रदेश का एक शहर ईरानी इतिहास से जुड़ गया। कैसे इस परिवार का सफर रहा और किस तरह ईरान की पहचान पूरी तरह बदलकर रख दी, ये जानकर आपको भी हैरत होगी। आज अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता हैं और उनके पूर्वजों ने इस देश पर अपना प्रभाव किस तरह जमाया, आपको बता रहे हैं।

रुहोल्लाह खामेनेई ने बदला ईरान का इतिहास
01 / 08

रुहोल्लाह खामेनेई ने बदला ईरान का इतिहास

इस्लामी क्रांति के जनक रुहोल्लाह खामेनेई (Ruhollah Khamenei) ने 1979 में ईरान में शाह की सरकार उखाड़ फेंकी थी। अब उनके बेटे अयातुल्लाह अली खामेनेई ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता का रुतबा बरकरार रखे हुए हैं। रुहोल्लाह ने अपने दादा सैयद अहमद मुसावी हिंदी (Syed Ahmad Musavi Hindi) की विरासत संभाली और इसे नए मुकाम पर पहुंचाया। उनके दादा अहमद मुसावी हिंदी का जन्म उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के पास हुआ था और 18वीं सदी के दौरान वह ईरान चले गए थे।

बाराबंकी के पास किंटूर में हुआ मुसावी का जन्म
02 / 08

बाराबंकी के पास किंटूर में हुआ मुसावी का जन्म

अहमद मुसावी हिंदी का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के पास किंटूर नामक एक छोटे से कस्बे में हुआ था। बताया जाता है कि मुसावी ने भारत के साथ अपना जुड़ाव दिखाने के लिए उपनाम के रूप में 'हिंदी' का इस्तेमाल किया था। बाद में उनके पोते रुहोल्लाह खामेनेई 1979 की ईरानी क्रांति के जनक बने। उन्होंने ईरान में अयातुल्ला के उच्च पद की स्थापना की और उदार ईरान को हमेशा के लिए एक धार्मिक मुस्लिम देश में बदल दिया।

अहमद मुसावी हिंदी 1830 में गए ईरान
03 / 08

अहमद मुसावी हिंदी 1830 में गए ईरान

दरअसल, मुसावी अहमद हिंदी के पिता दीन अली शाह 18वीं शताब्दी की शुरुआत में मध्य ईरान से भारत आए थे। अहमद हिंदी का जन्म लगभग साल 1800 में लखनऊ से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में बाराबंकी के पास हुआ था। यह वह समय था जब ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकत मुगलों को हराकर भारत पर नियंत्रण हासिल कर रही थी। मुसावी हिंदी 1830 में बाराबंकी से ईरान चले गए।

ईरानी शहर खोमेन में उतरे
04 / 08

ईरानी शहर खोमेन में उतरे

अहमद हिंदी इराक से होते हुए ईरान पहुंचे और खोमेन में रहने लगे। उन्होंने यहां एक घर खरीदा और परिवार का पालन-पोषण करने लगे। उन्होंने खोमेन में तीन महिलाओं से शादी की और उनके पांच बच्चे हुए। इन्हीं में से एक रुहोल्लाह खामेनेई (जन्म 1902) के पिता मुस्तफा भी थे। उस समय ईरान कजार वंश के शासन के अधीन था। अहमद हिंदी की मृत्यु 1869 में हुई। उनके बेटे मुस्तफा की हत्या स्थानीय जमींदार के आदेश पर कर दी गई और उस समय अयातुल्लाह खामेनेई सिर्फ पांच महीने के थे। अहमद हिंदी की मौत खामेनेई के जन्म से पहले ही हो गई थी।

ईरान में खामेनेई का उदय
05 / 08

ईरान में खामेनेई का उदय

युवा खामेनेई जल्दी ही शिया इस्लाम की शिक्षाओं की ओर आकर्षित हो गए। जैसे-जैसे खामेनेई का कद बढ़ता गया, उन्होंने राजनीति में सक्रिय रुचि लेना शुरू कर दिया। उधर, शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन में ईरान तेजी से आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण की ओर बढ़ रहा था। शहरी अभिजात वर्ग ने पश्चिमी जीवन शैली अपना ली थी। 1920 के दशक में सत्ता में आए पहलवी राजवंश की धर्मनिरपेक्ष नीतियां खामेनेई को रास नहीं आई और उन्हें पहलवी को अमेरिका की कठपुतली के रूप में देखा।

1979 में ईरान के शाह की सत्ता को उखाड़ फेंका
06 / 08

1979 में ईरान के शाह की सत्ता को उखाड़ फेंका

1960 और 1970 के दशक के दौरान ईरान बड़े पैमाने पर उथल-पुथल से गुजरा। खामेनेई एक मजबूत धार्मिक नेता के रूप में उभरे। एक सम्मानित मौलवी के तौर पर उन्होंने शाह की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस्लामी मूल्यों की ओर लौटने और एक धार्मिक ईरान की स्थापना का आह्वान किया। खामेनेई को जेल हुई, लेकिन वह झुके नहीं। शाह को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने विदेशों में भी ईरानियों के बीच समर्थन जुटाया।

1979 की इस्लामी क्रांति
07 / 08

1979 की इस्लामी क्रांति

ईरानी क्रांति से एक साल पहले 1978 में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ आने के साथ ही शाह पर दबाव बढ़ गया। देश थम गया और खामेनेई ने मौके का पूरा फायदा उठाया। 1979 की इस्लामी क्रांति में शाह को उखाड़ फेंका गया और खामेनेई नायक बन गए। सर्वोच्च नेता खामेनेई के तहत ईरान में इस्लामी गणराज्य की स्थापना की गई, और इस्लामी कानून ईरान के नए सिद्धांत बन गए। ईरान एक उदारवादी समाज से एक रूढ़िवादी समाज बन गया।

अयातुल्लाह अली खामेनेई के हाथ में कमान
08 / 08

अयातुल्लाह अली खामेनेई के हाथ में कमान

अब ईरान एक उदारवादी समाज से एक रूढ़िवादी समाज बन गया। आने वाले दशकों में रूढ़िवाद और भी मजबूत हुआ। रुहोल्लाह की मौत के बाद उनके बेटे अयातुल्लाह अली खामेनेई के हाथों में ईरान की कमान है। वह इन दिनों अमेरिका और इजरायल दोनों के साथ मोर्चा ले रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भारत के खिलाफ भी बयान दिया था। (Photo - AP)

End of Photo Gallery
Subscribe to our daily Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited