एक 'मकान' ने कैसे लगा दिया Delhi-Dehradun Expressway पर ब्रेक, कई प्रोजेक्ट का रोक चुका है रास्ता
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर वाहन रफ्तार भरने के लिए लगभग तैयार हैं, लेकिन एक मामूली विवाद की वजह से इसके शुरू होने में देरी हो रही है। इस विवाद ने लंबे समय तक एक्सप्रेसवे सहित कई प्रोजेक्ट का रास्ता रोका है। मामूली जमीन विवाद के चलते एक बड़ा प्रोजेक्ट लगातार देरी का सामना कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बावजूद इसमें फिलहाल समाधान की सूरत नहीं दिख रही है। आइए जानते हैं पूरा मामला।

मंडोला में 1,600 वर्ग मीटर जमीन पर कानूनी विवाद
गाजियाबाद के मंडोला में 1,600 वर्ग मीटर जमीन पर कानूनी विवाद के कारण दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे शुरू होने में देरी हो रही है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने प्रोजेक्ट के लिए इस जमीन के टुकड़े का अधिग्रहण करना चाहा, लेकिन जमीन के मालिक ने इसके ऐतिहासिक महत्व का हवाला देते हुए इसे देने से इनकार कर दिया है। इस जमीन पर एक मकान भी बना हुआ है जिसे हटाने को मकान मालिक तैयार नहीं है।

पहले भी जमीन देने में लगाया रोड़ा
यह पहली बार नहीं है कि इस जमीन के मालिक ने किसी परियोजना के लिए अपनी जमीन देने से इनकार किया हो। यूपी हाउसिंग बोर्ड ने 1998 में दिल्ली-गाजियाबाद सीमा के पास छह गांवों से 2,614 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने के लिए अपनी मंडोला हाउसिंग स्कीम के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। विवाद के बीच हाउसिंग बोर्ड ने ये जमीन एनएचएआई को सौंप दी थी।

जमीन मालिक ने किया इनकार
तब अधिकांश परिवार प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गए, वहीं वीरसेन (तत्कालीन मकान मालिक) ने इनकार कर दिया और प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में उनके भूखंड के अधिग्रहण पर रोक लगा दी। साथ ही अधिकारियों से कहा है कि वे भूमि स्वामियों पर दबाव न डालें।

सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
लगभग तीन दशक बाद, जब एनएचएआई ने एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया है, तो लक्ष्यवीर (वीरसेन के पोते) ने हस्तक्षेप किया और भूमि के अधिग्रहण को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 16 अप्रैल तक हल करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ को भेज दिया है। अदालत ने एक्सप्रेसवे के महत्व का जिक्र किया है कि किस तरह इससे दिल्ली-देहरादून के बीच यात्रा के समय में भारी कटौती होगी।

एनएचएआई की पेशकश ठुकराई
एनएचएआई अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने भूमि मालिकों को उचित मूल्य की पेशकश की है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना को पूरा करने के लिए भूमि महत्वपूर्ण है। अक्षरधाम-ईपीई सेक्शन पर यह प्लॉट है और इस प्लॉट का विवाद खत्म होने पर दिल्ली-बागपत ड्राइव महज 30 मिनट का रह जाएगा। यह करीब 20 किलोमीटर एलिवेटेड सेक्शन है।

जमीन का टुकड़ा बना रोड़ा
पहला खंड अक्षरधाम से लोनी में यूपी सीमा तक 14.7 किमी है, जबकि लोनी से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे में खेकड़ा तक 16 किलोमीटर का हिस्सा है। इसमें वीरसेन के 1600 वर्ग मीटर के घर को छोड़ दिया जाए तो इस दोनों खंड का काम पूरा हो चुका है।

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