सूर्य के कितना पास पहुंचा भारत का सूर्ययान, बिना जले कैसे काम कर रहा है आदित्य एल1
भारत का पहला सूर्ययान यानि कि आदित्य एल1, 1 साल से अंतरिक्ष में है। पृथ्वी से अंतरिक्ष तक का सफर तो कुछ मिनटों में सूर्ययान ने कर लिया था, लेकिन सूर्य तक पहुंचने में सूर्ययान को 4 महीने से ज्यादा का समय लग गया था। आदित्य एल1 चार जनवरी 2024 को हेलो कक्षा में पहुंच गया था। आइए जानते हैं कि आज की तारीख में सूर्ययान कहां है, सूर्य के कितना पास है आदित्य एल1।
सूर्य के कितना पास है आदित्य एल 1
भारत का सूर्ययान आदित्य एल1 आज भी हेलो कक्षा में मौजूद है। जैसा कि इसके नाम में एल-1 लगा है, उससे ये स्पष्ट है कि इसका मिशन उस एल1 बिंदू तक है, जहां से यह सूर्य का अध्ययन कर रहा है। आदित्य एल1 सूर्य से काफी दूर और पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर रहकर सूर्य पर नजर रखे हुए है।
कब लॉन्च हुआ था आदित्य एल 1
2 सितंबर 2023 को भारत ने सूरज की स्टडी करने के लिए अपने पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 को लॉन्च किया था। जो इसी साल चार जनवरी 2024 को हेलो कक्षा में स्थापित हुआ था। एल1 को सौर अवलोकन के लिए लैग्रेंज बिंदुओं में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
आदित्य एल 1 पर कितना खर्च हुआ
आदित्य एल1 मिशन पर लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च हुए। शुरुआत में इसका बजट कम था, बाद में मिशन का दायरा बढ़ाया गया और यह लैग्रेंज बिंदु पर रखा जाने वाला एक व्यापक सौर और अंतरिक्ष पर्यावरण वेधशाला बन गया। जिसके बाद इसका बजट बढ़ता चला गया।
दित्य एल 1 का उद्देश्य
आदित्य एल 1 का उद्देश्य सौर कोरोना, प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सौर पवन के बारे में जानकारी इकट्ठा करना था। आदित्य-एल1, सूर्य की स्टडी करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) कैटेगरी का भारतीय सौर मिशन है। इसरो का इस मिशन के माध्यम से पता लगाने का मकसद था कि जब सूर्य एक्टिव होता है तो क्या होता है। और पढ़ें
सूर्य तक पहुंचने में सूर्ययान को कितना समय लगा
धरती से अपने लक्ष्य एल1 प्वाइंट तक पहुंचने में आदित्य एल1 को 125 दिन का समय लगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को एल-1 बिंदू के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 178 दिन लगते हैं।
एल-1 पर ही क्यों टिका सूर्ययान
लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वे विशेष स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी जैसे दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां एक-दूसरे को संतुलित करती हैं। इसका मतलब यह है कि एक छोटी वस्तु, जैसे कि अंतरिक्ष यान, अपनी कक्षा को बनाए रखने के लिये अधिक ईंधन का उपयोग किए बिना इन बिंदुओं पर रह सकती है। एल1 को सौर अवलोकन के लिए लैग्रेंज बिंदुओं में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। और पढ़ें
कब तक है आदित्य एल 1 का जीवन
आदित्य एल 1 का जीवन काल तो ऐसे पांच साल का है। इसरो ने इसे तरह से डिजाइन किया है कि यह एल-1 प्वाइंट पर सूर्य की गर्मी में बिना पिघले काम करते रहे। इसरो के कई मिशन का रिकॉर्ड रहा है कि वो तय समय से ज्यादा चले हैं। ऐसे में सूर्ययान अगर पांच साल से ज्यादा समय तक काम करते रहा तो आश्चर्य नहीं होगा।
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