दिल्ली कैसे बनती चली गई दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, सर्दियों की शुरुआत में क्यों जहरीली हो जाती है हवा

ऐसे तो दिल्ली की हवा पूरे साल बहुत ज्यादा अच्छी नहीं होती है, लेकिन दिवाली के बाद जैसे ही सर्दियों की शुरुआत होती है, हवा जहरीली होने लगती है, दिल्ली गैस चेंबर बनने लगती है। हाल ये होता है कि शहर पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगने लगने लगते हैं, ताकि हवा का स्तर में सुधार हो और लोग जिंदा रह सकें। आज की तारीख में दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेने भर से लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में सांस से संबंधित परेशानियों वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल है कि दिल्ली में दिन में ही अंधरा हो रखा है। अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर दिल्ली में ऐसा क्या हो गया है कि यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ते ही जा रहा है और दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है।

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क्यों बढ़ रहा दिल्ली में प्रदूषण

भारत की राजधानी दिल्ली में ज़हरीली हवा चल रही है। सोमवार को उत्तर भारत के ज़्यादातर इलाकों में लोग धुएं और कोहरे के ज़हरीले मिश्रण, धुएं की मोटी चादर में जाग उठे। रात भर घने कोहरे के बाद नई दिल्ली में हवा की गुणवत्ता इस साल के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई। पिछले कुछ सालों से, दिल्ली और पड़ोसी उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद और हरियाणा के गुरुग्राम में सर्दियों के दौरान धुआं एक आम बात हो गई है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ठंडी हवाएं धूल, कार्बन उत्सर्जन और आस-पास के कुछ राज्यों में अवैध रूप से खेतों में लगाई जाने वाली आग से निकलने वाले धुएं को अपने अंदर फंसा लेती है, जिससे दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है।

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कैसे बनी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी दिल्ली

विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण और पर्यावरण कानूनों के कमजोर क्रियान्वयन ने देश में प्रदूषण बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने पिछले कुछ दशकों में काफी विकास देखा है, लेकिन प्रदूषण में कमी नहीं आई है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसान फसल कटाई के बाद खेतों को साफ करने के लिए पराली जलाते हैं, जो एक तात्कालिक और सरल उपाय है। इस प्रथा से भारी मात्रा में धुआं और काफी हानिकारक कण हवा में फैलते हैं, जो फिर हवाओं के साथ दिल्ली में आ जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर काफी बिगड़ जाता है। सर्दियों के महीनों में, दिल्ली के ठंडे मौसम के कारण हवा बहुत ज़्यादा जम जाती है और स्थिर हो जाती है। इसका मतलब है कि धुआं, धूल और फ़ैक्टरी प्रदूषक जैसे प्रदूषक ज़मीन के पास एक जगह पर फंस जाते हैं। नतीजतन, यह धुआं जमा करता है, जिससे हवा की गुणवत्ता कम हो जाती है और लोगों के लिए स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है।

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दिल्ली में कितना प्रदूषण

दिल्ली के अधिकांश इलाकों में एक्यूआई स्तर 500 से ऊपर रहा। अलीपुर का 586, आनंद लोक का 586, आनंद पर्वत का 521, आनंद विहार 608, अशोक विहार फेज 1 का 539, बवाना औद्योगिक क्षेत्र का 534, भलस्वा लैंडफिल का 508, चाणक्य पुरी का 586, सिविल लाइंस का 514, कनॉट प्लेस का 536, दरियागंज का 536, डिफेंस कॉलोनी का 586, दिल्ली कैंट का 586, द्वारका सेक्टर 10 का 531, गाजीपुर का 508, ग्रेटर कैलाश का 586, आईटीआई शाहदरा का 608, कालकाजी का 646, पीजीडीएवी कॉलेज का 701 है।

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प्रदूषण से किसे बचने की जरूरत

विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से बच्चों के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और फेफड़ों के कैंसर और अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने 115 विभिन्न प्रोटीनों का विशेष रूप से अध्ययन किया, जो शरीर में जलन और सूजन बढ़ाने के संकेत देते हैं। शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के 2024 साइंटिफिक सेशन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत इंटरमाउंटेन हेल्थ अध्ययन के परिणामों से पता चला कि दो इंफ्लमेशन मार्कर - सीसीएल27 (सी-सी मोटिफ केमोकाइन लिगैंड 27) और आईएल-18 (इंटरल्यूकिन 18) हार्ट फेलियर के रोगियों में बढ़ा था। ये वो लोग थे जो खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में थे। जबकि पिछले शोधों से पता चला है कि हार्ट फेल, कोरोनरी रोग, अस्थमा और सीओपीडी जैसी कुछ समस्याओं से जूझ रहे लोग वायु प्रदूषण की स्थिति से संघर्ष कर रहे होते हैं तो, नया अध्ययन दर्शाता है कि खराब वायु गुणवत्ता के दौरान इन रोगियों के हृदय में जलन या सूजन का स्तर बढ़ जाता है।

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दिल्ली में ग्रैप 4 लागू

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सोमवार से दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण (ग्रैप-4) को लागू करने का फैसला लिया है। ग्रैप-4 लागू होने के बाद राजधानी में ट्रक, लोडर समेत अन्य भारी वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत नहीं होती है। हालांकि, आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करने वाले वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। राज्य सरकार स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी तथा निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने पर भी निर्णय लेती हैं। ऑड-ईवन का निर्णय भी चौथे चरण में लिया जा सकता है, हालांकि यह जरूरी नहीं है

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दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या में एक कारण

20 मिलियन से ज़्यादा की आबादी के साथ, दिल्ली का तेज़ी से बढ़ता शहरी विकास इसके बुनियादी ढांचे पर काफ़ी दबाव डालता है। ज़्यादा लोगों का मतलब है ज़्यादा कारें, ज़्यादा कचरा और काफ़ी ज़्यादा ऊर्जा खपत, ये सभी मिलकर प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हैं। दिल्ली की सड़कें वाहनों से भरी पड़ी हैं, जिनमें से कई पुराने हैं और बहुत ज़्यादा मात्रा में हानिकारक गैसें छोड़ते हैं। पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन विकल्पों की कमी के कारण बहुत से लोगों को निजी कारों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे लगातार ट्रैफ़िक जाम होता है और वायु प्रदूषण का पहले से ही उच्च स्तर और भी बढ़ जाता है।

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वायु प्रदूषण से खुद को कैसे बचा सकते हैं?

जब हवा प्रदूषित होती है, तो मास्क पहनना आपको सुरक्षित रखने में काफी मदद कर सकता है। N95 या P100 मास्क चुनें क्योंकि वे हानिकारक कणों को फ़िल्टर करते हैं। सुनिश्चित करें कि यह आपकी नाक और मुंह पर कसकर फिट हो ताकि आप स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। बाहर जाने की सीमा तय करें जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो तो बाहर जाने से बचें। यदि आवश्यक हो, तो सुबह या शाम को बाहर जाएं जब हवा आमतौर पर बेहतर होती है। अपने फेफड़ों की सुरक्षा के लिए खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में बाहर व्यायाम करने से बचें।