अखंड भारत के समय की वो नदी, जो हो गई है विलुप्त, 5500 साल पहले 5 राज्यों की बुझाती थी प्यास

Saraswati River: अखंड भारत की सबसे महत्वरपूर्ण नदियों में से एक नदी आज विलुप्त हो चुकी है, कम से कम धरती के ऊपर तो उसका अस्तित्व नहीं दिखता है। हां कुछ रिसर्च में जरूर यह दावा किया गया है कि यह पवित्र नदी आज भी धरती के नीचे मौजूद है और आज भी यह बहती है। हम बात कर रहे हैं सरस्वती नदी की, जिसका हिंदू धर्म में बड़ा ही पवित्र स्थान है। सरस्वती नदी कभी भारत की धरती पर बहती थी और उसके किनारों पर मानव सभ्यता का विकास हुआ था।

कैसे विलुप्त हो गई अखंड भारत की वो नदी Why did Saraswati River disappear
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कैसे विलुप्त हो गई अखंड भारत की वो नदी (Why did Saraswati River disappear?)

सरस्वती नदी अखंड भारत के समय ही हिंदुस्तान की धरती पर बहती थी। आज से 5500 साल पहले सरस्वती नदी भारत के 4 राज्यों को कई महत्वपूर्ण शहरों से गुजरती थी। टेक्टोनिक गतिविधि को सरस्वती के जल स्रोत से अलग होने का कारण भी माना जाता है। माना जाता है कि इसके परिणामस्वरूप नदी सूख गई और रेगिस्तानी रेत और जलोढ़ मिट्टी के नीचे दब गई। कुछ पर्यवेक्षकों ने इस नदी को पौराणिक माना था। हालांकि जब भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से जाच की गई है तब यह निष्कर्ष निकाला कि सरस्वती नदी, जो अब विलुप्त हो चुकी है, असल में एक नदी थी। और पढ़ें

कहां से कहां तक बहती थी सरस्वती नदी Saraswati River route
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कहां से कहां तक बहती थी सरस्वती नदी (Saraswati River route)

सरस्वती नदी भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से होकर बहती थी। सरस्वती नदी हिमालय से निकलती थी और पश्चिम में सिंधु नदी और पूर्व में गंगा नदी के बीच से होकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान और गुजरात से होकर बहती थी। यह अंततः अरब सागर में कच्छ की खाड़ी में गिरती थी। इसे जीवन देने वाली नदी माना जाता था और इसने लोगों के धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।और पढ़ें

क्या सरस्वती नदी का कोई प्रमाण है Is there any proof of Saraswati River
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क्या सरस्वती नदी का कोई प्रमाण है? (Is there any proof of Saraswati River?)

भूवैज्ञानिकों को एक बड़ी नदी प्रणाली के साक्ष्य मिले हैं जो उत्तर-पश्चिमी भारत और पाकिस्तान से होकर बहती थी। यह होलोसीन युग (पिछले 11,700 साल) के दौरान था। इस नदी प्रणाली को अब घग्गर-हकरा नदी प्रणाली के रूप में जाना जाता है। वर्तमान वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ उपलब्ध स्रोत इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सरस्वती नदी का नेटवर्क 28,000 वर्ष ईसा पूर्व से अस्तित्व में रहा होगा और 3792 वर्ष ईसा पूर्व के दौरान यह एक सूखा चैनल बन कर रह गया होगा। पंजाब में सतलुज पैलियोचैनल वैदिक सरस्वती नदी को मानसरोवर झील के मुख्य स्रोत के रूप में जोड़ता है।और पढ़ें

क्या आज भी मौजूद है सरस्वती नदी Is Saraswati River still flowing underground
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क्या आज भी मौजूद है सरस्वती नदी (Is Saraswati River still flowing underground)

कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह नदी अभी भी थार रेगिस्तान के नीचे भूमिगत रूप से बह रही होगी। भूवैज्ञानिक और उपग्रह डेटा से पता चलता है कि वहां भूमिगत नदी प्रणाली हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि घग्गर-हकरा नदी सरस्वती नदी का अवशेष है।

क्या सरस्वती नदी हो सकती है पुनर्जीवित Can Saraswati River be revived
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क्या सरस्वती नदी हो सकती है पुनर्जीवित (Can Saraswati River be revived?)

सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया जा सकता है, इसके लिए सरकार कोशिश भी कर रही है। हरियाणा राज्य की सरकार के अनुसार, क्षेत्र के शोध और उपग्रह चित्रों ने पुष्टि की है कि यमुनानगर में सूखी नदी के तल की खुदाई के दौरान पानी का पता चलने पर खोई हुई नदी मिल गई है। सरकार द्वारा गठित सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड (एसएचडीबी) ने 30 जुलाई 2016 को नदी के तल को 100 क्यूसेक पानी से भरने का ट्रायल रन किया था, जिसे यमुनानगर के ऊंचा चांदना गांव में ट्यूबवेल से खोदे गए चैनल में पंप किया गया था। आदि बद्री बांध के निर्माण से संग्रहित जल का उपयोग मुख्य रूप से सरस्वती नदी के पुनरुद्धार और सरस्वती विरासत के विकास के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, इस परियोजना में हिमाचल प्रदेश राज्य में पीने और सिंचाई के लिए प्रति वर्ष 61.88 हेक्टेयर मीटर जल उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है।और पढ़ें

कहां होता है गंगा-यमुना और सरस्वती की संगम
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कहां होता है गंगा-यमुना और सरस्वती की संगम

त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम है। त्रिवेणी संगम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है। यहां गंगा और यमुना प्रत्यक्ष रूप से तो सरस्वती अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद है। कहा जाता है कि सरस्वती नदी यहां कभी नहीं पहुंची थी। भूकंप के कारण जब धरती ऊपर उठी तो सरस्वती का आधा से अधिक जल यमुना नदी में चला गया, इस प्रकार सरस्वती का जल यमुना में मिल गया। यही कारण है कि प्रयाग को तीन नदियों के संगम के रूप में जाना जाता है।और पढ़ें

 सरस्वती नदी के किनारे कौन सी सभ्यता
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सरस्वती नदी के किनारे कौन सी सभ्यता

वैदिक सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता दोनों ही सरस्वती नदी के तट पर पाई गई थीं। वैदिक सभ्यता- यह सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बाद 1500 ईसा पूर्व और 500 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली। वैदिक सभ्यता का नाम वेदों, पवित्र हिंदू ग्रंथों के नाम पर रखा गया है। भरत जनजाति सरस्वती नदी के ऊपरी क्षेत्रों में रहती थी, जबकि पुरु जनजाति दक्षिण में रहती थी। वैदिक काल के दौरान सरस्वती नदी को "सबसे पवित्र" नदी माना जाता था। सिंधु-सरस्वती सभ्यता- हड़प्पा सभ्यता के रूप में भी जानी जाने वाली यह सभ्यता आधुनिक उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैली हुई थी। 2,500 ईसा पूर्व तक, यह प्राचीन दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता थी, जो 386,000 वर्ग मील से अधिक क्षेत्र में फैली हुई थी।और पढ़ें

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