कब, कहां और कैसे मची हाथरस में भगदड़, जिसमें चली गई 116 की जान; कौन है इस हादसे का जिम्मेदार?
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान ऐसी भगदड़ मची कि 116 लोगों की मौत हो गई। एक बाबा जिसके पीछे हजारों लोग पागल हुए बैठे,उसके सत्संग में कई लोग जान से हाथ धो बैठे। बाबा 'भोले' के नाम से जाने जाने वाले नारायण साकार हरि का यहां कार्यक्रम था, जहां सत्संग खत्म होते ही भगदड़ मच गई।
कहां मची भगदड़
सत्संग में शामिल होने पहुंचे एक परिवार के लोगों ने बताया कि हाथरस जनपद में सिकंदराराऊ थाना अंतर्गत फुलरई मुगलगढ़ी के एक खेत में साकार हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था। वहां पर बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष बाबा का प्रवचन सुन रहे थे। सत्संग खत्म हुआ, बाबा के अनुयायी बाहर सड़क की ओर जाने लगे।
कैसे मची भगदड़
लगभग 50 हजार की संख्या में अनुयायियों को सेवादारों ने जाने से रोक दिया। सेवादारों ने साकार हरि बाबा के काफिले को वहां से निकाला। उतनी देर तक वहां अनुयायी गर्मी और उमस में खड़े रहे। बाबा के काफिले के जाने के बाद जैसे ही सेवादारों ने अनुयायियों को जाने के लिए कहा, वहां भगदड़ की स्थिति बन गई और यह हादसा हो गया।
हाथरस हादसे का जिम्मेदार कौन
हाथरस हादसे का असली जिम्मेदार कौन है ये तो जांच के बाद पता चलेगी, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि सत्संग के दौरान उचित व्यवस्था नहीं थी। सेवादारों की मनमानी ने इसे और अराजक बना दिया।
कौन हैं भोले बाबा
विश्व हरि भोले बाबा को अनुयायी भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं। इनका विवादों से पुराना नाता रहा है। भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। उनका असली नाम सूरज पाल है। वो कासगंज के रहने वाले हैं।
कई राज्यों में भोले बाबा के भक्त
कासगंज जिले के पटियाली स्थित बहादुर नगर के रहने वाले साकार विश्व हरि भोले बाबा ने 17 साल पहले पुलिस विभाग से नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था। भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में हैं।
नौकरी छोड़ बने बाबा
साकार विश्व हरि भोले बाबा ने 17 साल पहले पुलिस विभाग से नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था। भोले बाबा के एक भक्त ने बताया कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं है। वीआरएस लेने के बाद उन्हें अचानक भगवान से साक्षात्कार हुआ और उसी समय से उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया। भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है।
न एंबुलेंस और न ही फायर ब्रिगेड की कोई गाड़ी
प्रशासन की ओर से सभा आयोजित करने की मंजूरी बाबा को मिली थी, लेकिन यह बात स्पष्ट नहीं की गई थी कि सभा में कितने लोग शिरकत करेंगे? सभा में सुरक्षा के लिहाज से 40 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, लेकिन वहां न ही कोई एंबुलेंस थी और ना ही फायर ब्रिगेड़ की कोई गाड़ी।
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