चंद्रयान 1 और चंद्रयान 3 डेड तो फिर चंद्रयान 2 कैसे कर रहा है काम? अभी भी इसरो को भेज रहा चांद के छुपे रहस्य
भारत चांद पर अब तक तीन मिशन भेज चुका है। चंद्रयान 1, चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3। इनमें से दो मून मिशन चंद्रयान 1 और चंद्रयान 3 पूरी तरह से डेड हो चुका है। मिशन खत्म हो चुका है, लेकिन चंद्रयान 2 आज भी काम कर रहा है। चंद्रयान 2 आज भी इसरो को चांद की जानकारी भेज रहा है, चांद के रहस्य को दुनिया के सामने ला रहा है। अब सवाल ये है कि जिस चंद्रयान 2 मिशन को असफल मान लिया गया था, वो आज भी कैसे काम कर रहा है, कैसे इसरो को डाटा भेज रहा है?
क्या फेल नहीं हुआ था चंद्रयान 2 मिशन?
यह सच है कि चंद्रयान 2, अपने मुख्य मिशन में फेल हो गया था, लेकिन उसका एक हिस्सा आज भी चांद के पास है और काम कर रहा है। चंद्रयान 2 में तीन हिस्से थे। एक लैंडर, एक रोवर और एक ऑर्बिटर। चांद पर उतरने के मिशन में चंद्रयान-2 फेल हुआ था, जबकि उतरने से पहले वो अपना ऑर्बिटर, चांद की कक्षा में स्थापित कर गया था, जो आज भी काम कर रहा है। मतलब चंद्रयान 2 पूरी तरह से फेल नहीं हुआ था।
कब लॉन्च हुआ था चंद्रयान 2
चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का पहला प्रयास था। इस मिशन में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल थे। चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को 14:43 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी एमके III-एम1 द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसके बाद चंद्रयान 2 पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा, वहां से परिक्रमा करते हुए 14 अगस्त को अंतरिक्ष यान चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ (एलटीटी) में प्रवेश कर गया।
चांद पर कब पहुंचा था चंद्रयान 2
20 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश (एलओआई) प्रक्रिया पूरी की गई, जिसके बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसके बाद चंद्रमा के चारों ओर वृत्ताकार ध्रुवीय कक्षा में कक्षा को कम करने के लिए चंद्र बाउंड ऑर्बिट प्रक्रिया की एक श्रृंखला की गई।
जब चांद पर लैंडिग हुई फेल
विक्रम लैंडर ने 6 सितंबर 2019 को चंद्रमा पर उतरने का प्रयास किया। सारा कुछ सही चल रहा था, तभी अचानक से सॉफ्टवेयर त्रुटि के कारण लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और धरती से संपर्क टूट गया। चंद्रयान 2 मिशन यहीं खत्म हो गया है। चांद के इतना नजदीक पहुंचने के बाद वहां लैंड न करना, इसरो के लिए बड़ा झटका था, हालांकि यह शुरू से ही काफी कठिन माना जा रहा था, क्योंकि भारत वहां उतरना चाह रहा था, जहां तक कोई देश नहीं पहुंचा था।
ऑर्बिटर करता रहा काम
चंद्रयान-2 भले ही चांद पर लैंड नहीं कर पाया हो, लेकिन उसका ऑर्बिटर आज भी चांद की कक्षा में है और काम कर रहा है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर वर्तमान में चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी x 100 किमी की कक्षा में है, तथा सतह के भूविज्ञान और संरचना से लेकर बाह्यमंडलीय माप तक के अध्ययन कर रहा है।
अपने उद्देश्य में कितना सफल रहा चंद्रयान 2
चंद्रयान 2 अपने मुख्य उद्देश्य में असफल रहा, इसमें कोई शक नहीं है। चंद्रयान-2 लैंडर का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग और रोबोटिक रोवर को संचालित करने की क्षमता को दर्शाना था। जिसमें वो सफल रहा। हालांकि ऑर्बिटर सफल है, जिसका कई वैज्ञानिक लक्ष्य हैं। ऑर्बिटर- चंद्रमा की स्थलाकृति, खनिज विज्ञान, तात्विक प्रचुरता, चंद्र एक्सोस्फीयर और हाइड्रॉक्सिल और पानी की बर्फ के संकेतों का अध्ययन कर रहा है। दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पानी की बर्फ और सतह पर चंद्र रेगोलिथ की मोटाई का अध्ययन कर रहा है और चंद्रमा की सतह का मानचित्र बना रहा ताकि अगले मिशनों में मदद मिल सके।
ऑर्बिटर की बड़ी खोज
अक्टूबर 2023 में, ऑर्बिटर ने चंद्रमा पर सोडियम की प्रचुरता की खोज की। चंद्रमा पर हजारों किलोमीटर लंबी सोडियम परमाणुओं की एक टेल दिखी है। बड़े क्षेत्र के एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, CLASS का उपयोग करते हुए, ऑर्बिटर ने इसकी खोज की और इसका मैप भी बनाया है। सोलर एक्स-रे मॉनिटर (एक्सएसएम) ने पहली बार सूर्य के सक्रिय क्षेत्रों के बाहर भारी मात्रा में माइक्रोफ्लेयर्स को देखा है।
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