बेटी दिल्ली में, बेटा विदेश में...1975 के कत्लेआम से इसलिए बच गई थीं शेख हसीना और बहन

बांग्लादेश में सरकार विरोधी व्यापक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को आनन-फानन में देश छोड़कर भारत आना पड़ा। संकट के समय सेना ने भी उनका साथ नहीं दिया। शेख हसीना के सामने 1975 का वो मंजर जरूर सामने आया होगा जब उनके पिता समेत परिवार के 17 लोगों को सेना ने मौत के घाट उतार दिया था। तब उनकी किस्मत ही थी कि वह बच गईं। क्या हुआ था तब और उनके परिवार में अब कौन-कौन है, आइए जानते हैं।

बंगबंधु मुजीबुर रहमान का कत्ल
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​बंगबंधु मुजीबुर रहमान का कत्ल​

बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीबुर रहमान ने संघर्ष और बलिदान देकर बांग्लादेश का निर्माण कराया था, 1975 के तख्तालपट में उन्हें ही बेरहमी से मार दिया गया था। कत्लेआम के उस दौर शेख हसीना, उनकी बहन ही बच पाए थे। कैसे बची थी दोनों बहनों की जान? लेकिन इससे पहले जानते हैं उस कत्लेआम के बारे में।

1975 में शेख मुजीबुर रहमान समेत 17 की हत्या
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1975 में शेख मुजीबुर रहमान समेत 17 की हत्या

1975 में शेख मुजीबर रहमान की हत्या से पूरी दुनिया सहम गई थी। उनकी हत्या में सेना के जूनियर अफसरों का हाथ था। बांग्लादेश के इतिहास में 15 अगस्त 1975 का वो काला दिन आज भी भुलाए नहीं भूलता। इस दिन सेना के ही अफसरों ने मुजीब के घर को घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। हमलावरों ने किसी को नहीं बख्शा।और पढ़ें

15 अगस्त 1975 को हुई हत्या
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15 अगस्त 1975 को हुई हत्या

बंगबंधु कहलाए जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। 15 अगस्त के दिन उनकी हत्या हुई थी। इस बार प्रदर्शनकारियों ने उन्हीं मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा में बुरी तरह तोड़फोड़ की है।

इसलिए बच गईं हसीना-रेहाना
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इसलिए बच गईं हसीना-रेहाना

विश्वासघात भरे इस हमले में मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी, बेटा, बहू और 10 साल के बेटे समेत 17 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। उनकी दो बेटियां शेख हसीना और शेख रेहाना इसलिए बच गईं क्योंकि इस जघन्य घटना के समय दोनों जर्मनी में थीं।

पति सहित यूरोप में थीं हसीना
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पति सहित यूरोप में थीं हसीना

तब हसीना, उनके पति और बच्चे यूरोप का दौरा कर रहे थे, जिससे उनकी जान बच गई। परिवार को खो देने के बाद सभी लोग कुछ दिन तक जर्मनी में रहे। इसके बाद इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें भारत में शरण दी। वह अपनी बहन रेहना के साथ दिल्ली में करीब 6 साल तक रहीं।

दो बच्चे- सायमा और सजीब
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​दो बच्चे- सायमा और सजीब ​

शेख हसीना की शादी 1967 में एमए वाजेद मियां से हुई थी। पति वाजेद की साल 2009 में बीमारी से मौत हो गई थी। सिंगापुर में बाईपास ऑपरेशन के बाद 2009 में उनकी मौत हो गई। वह बांग्लादेश अटॉमिक एनर्जी कमीशन के पूर्व चेयरमैन थे। शेख हसीना के दोनों के दो बच्चे हैं। बेटा सजीब वाजेद और बेटी सायमा वाजेद।

बेटा सजीब वाजेद एक कारोबारी
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बेटा सजीब वाजेद एक कारोबारी

53 साल के सजीब पेशे से कारोबारी होने के साथ-साथ इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर सरकार के सलाहकार रहे। साजिब वाजेद वे अमेरिका स्थित फर्म वाजेद कंसल्टिंग इंक के अध्यक्ष हैं। वाजेद को डिजिटल बांग्लादेश पहल का मास्टरमाइंड माना जाता है और अवामी लीग के विजन 2021 घोषणापत्र को बढ़ावा दिया। मौजूदा तख्तापलट पर सजीब ने कहा है कि उनकी मां बहुत आहत हैं और वह अब राजनीति से दूर हो जाएंगी। और पढ़ें

बेटी सायमा दिल्ली में तैनात
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बेटी सायमा दिल्ली में तैनात

बेटी सायमा साइकोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्टिविस्ट हैं। सायमा डब्ल्यूएचओ में काम करती हैं और दिल्ली में ही तैनात हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में एक डायरेक्टर के रूप में काम कर रही हैं।

बहन शेख रेहाना सिद्दीकी का परिवार
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बहन शेख रेहाना सिद्दीकी का परिवार

शेख हसीना की बहन शेख रेहाना बांग्लादेश अवामी लीग की नेता हैं। रेहाना के दो बच्चे हैं, बेटे रदवान मुजीब सिद्दीकी और बेटी ट्यूलिप सिद्दीकी। रदवान को भी हसीना के बाद सत्ता संभालने का दावेदार माना जा रहा था। वह अवामी लीग के सेंटर फॉर रिसर्च के इंचार्ज और यूएन सलाहकार रह चुके हैं, बाद में वह थाइलैंड शिफ्ट हो गए। वहीं, उनकी बहन ट्यूलिप सिद्दीकी ब्रिटिश सांसद हैं। और पढ़ें

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