1950 से लेकर 2024 तक भारत में कैसी रही गर्मी, कब टूटे गर्मी के रिकॉर्ड?
उत्तर-पश्चिमी भारत में 1970 के दशक से तापमान में वृद्धि की एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति शुरू हुई है, जो 2000 और 2010 के दशक में और तेज हो गई है वहीं 2020 के दशक में ये अब ये और बढ़ती जा रही है।
तापमान वृद्धि की गणना
कुछ साल पहले किए गए एक अध्ययन में 1951 से 2013 तक की अवधि को कवर करने वाले दो अलग-अलग डेटासेट से जानकारी का उपयोग करके, दशक दर दशक होने वाले परिवर्तन के संदर्भ में तापमान वृद्धि की गणना की गई। गर्मी, मानसून और सर्दियों की अवधि के लिए अधिकतम, न्यूनतम और दैनिक औसत तापमान डेटा का विश्लेषण किया गया था।
40 डिग्री से अधिक तापमान
40 डिग्री से अधिक तापमान वाले क्षेत्र का विस्तार 1970 और 1980 के दशक में शुरू हुआ, जबकि दक्षिण-मध्य भारत में 41 डिग्री से अधिक तापमान वाले क्षेत्र का विस्तार हुआ है
1950 के दशक में
1950 के दशक में, इस उच्च तापमान वाला क्षेत्र सीमित था, केवल दक्षिण-मध्य भारत में एक छोटा सा स्थान 41 डिग्री को छूता था।
1990 के दशक में
1990 के दशक में तापमान में थोड़ी कमी के बाद, 2000 और 2010 के दशक में 40 डिग्री से अधिक तापमान वाले क्षेत्र में नाटकीय रूप से विस्तार हुआ है
2010 के दशक में
2010 के दशक में अप्रैल और मई के लिए दैनिक अधिकतम तापमान का दशकीय औसत भारत के बड़े हिस्से में 40 से 42 डिग्री है।
अधिक तापमान वाले क्षेत्र का विस्तार
अध्ययन में पाया गया है कि 41 डिग्री से अधिक तापमान वाले क्षेत्र का विस्तार हुआ है, और 2010 के दशक में दक्षिण-मध्य भारत में 42 डिग्री से अधिक तापमान वाला क्षेत्र सामने आया है।
साल 2024 की बात करें
साल 2024 की बात करें तो मई के आखिर में राजस्थान के फलोदी में 51 डिग्री और 50.8 डिग्री सेल्सियस तामपान दर्ज किया गया था
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