Photos: युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाई, लाइब्रेरी की सीढ़ियों ने ले ली इस मुगल शासक की जान, आज भी दिल्ली में है ये जगह
बाबर पहले मुगल शासक थे। जिसके बाद उनके बड़े बेटे हुमायूं ने सत्ता संभाली। लेकिन हुमायूं ज्यादा दिन तख्स और राजपाठ का सुख नहीं भोग सके। एक दुर्घटना में लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिरकर उनकी मौत हो गई थी। ये जगह आज भी दिल्ली में स्थित है।
भारत में मुगल साम्राज्य
भारत में मुगलों का आगमन 1526 में हुआ था। मुगल साम्राज्य की नींव बाबर ने रखी थी। बाबर की मौत बीमारी के कारण हुई थी। बाबर के बाद उसका बेटा हुमायूं मुगल सिंहासन पर बैठा। मुगल के दूसरे शासक हुमायूं ने अपनी जीवन में चार बड़े युद्ध लड़े थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हुमायूं की जान किसी युद्ध में नहीं गई, बल्कि एक किले की सीढ़ियों से गिरकर मौत हुई। ये किला आज भी दिल्ली में मौजूद है। आइए जानते हैं कि कैसे इस शासक की मौत कैसे हुई और ये किला कहां है?
हुमायूं का शासनकाल
हुमायूं का पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं था, जिसका जन्म काबुल में 6 मार्च 1508 में हुआ था। बाबर के चार बेटों में हुमायू सबसे बड़ा बेटा था। हुमायूं का राज्याभिषेक 30 दिसंबर 1530 में किया गया था। लेकिन हुमायूं का शासनकाल बहुत लंबे समय तक नहीं चला था।
लाइब्रेरी की सीढ़ियों से फिसले
हुमायूं की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के तौर पर जानी जाती है। हुमायूं 24 जनवरी 1556 को दीनपनाह नामक अपने पुस्तकालय में थे। हुमायूं की जीवनी में गुलबदन बेगम ने लिखा है कि उस दिन तेज हवा चल रही थी और ठंड भी ज्यादा थी। हुमायूं ने सीढ़ियों स उतरना शुरू किया और वे दूसरी सीढ़ी पर ही पहुंचे थे। तभी पास की एक मस्जिद से अजान की आवाज उन्हें सुनाई थी। हुमायूं धार्मिक व्यक्ति थे, उन्होंने अजान की आवाज सुनकर झुककर सजदे में बैठने की कोशिश की। तभी उनका पैर फिसला और वे सिर के बल सीढ़ियो से गिरते चले गए।
गिरने के तीन दिन बाद हुई मौत
हुमायूं को गिरता देख उनके साथ चल रहे सहायकों ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। उन सब लोगों ने नीचे पहुंचकर देखा कि हुमायूं जमीन पर पड़े हुए थे। उनके सिर पर गहरी चोट आई थी और दाहिने कान से खून बह रहा था। गिरने के तीन दिन बाद 27 जनवरी 1556 को उनकी मौत हो गई। हुमायूं को दिल्ली में दफनाया गया था, जिसे आज हुमायूं का मकबरा के नाम से जाना जाता है।
दीनपनाह शहर का हिस्सा था पुराना किला
हुमायूं ने 16वीं शताब्दी में नए किलेबंद शहर दीन पनाह का निर्माण कराया था। पुराना किला इसी शहर का एक हिस्सा था। इसका निर्माण 1533 में शुरू हुआ था। इसी किले में आगे चलकर शरेशाह ने कई और ढांचे जोड़े और दीन पनाह का नाम बदलकर शेर गढ़ रख दिया। शेरशाह की मौतके बाद हुमायूं ने 1555 में फिर से सत्ता हासिल कर ली। उसने शेरशाह की बनाई चीजों को नया रूप देना शुरू किया। इसी क्रम में शेर मंडल को लाइब्रेरी में बदलवा दिया, जिसकी सीढ़ियों से गिर कर हुमायूं की मौत हुई।
दिल्ली का पुराना किला
पुराने किले को दिल्ली का सबसे प्राचीन किला माना जाता है। यह किला करीब 2 किमी की परिधि में फैला है। पुराने किले की दीवारों की ऊंचाई 18 मीट है। इस किले के अंदर तीन मेन गेट है - हुमायूं गेट, तलाकी गेट और बड़ा दरवाजा। पुराने किले के अंदर एक खूबसूरत झील भी स्थित है। इसके अलावा परिसर में किला-ए-कुहना, शेर मंडल जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं।
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