भारतीय फाइटर प्लेन हो जाएंगे 'अदृश्य', यदि लग गया IIT कानपुर का यह फॉर्मूला

Metamaterial surface cloaking technology : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने एक ऐसी स्टील्थ तकनीक पेश की है और यह तकनीक यदि सफल हो गई तो लड़ाकू जहाज, मिसाइल सहित भारतीय हथियार एक तरह से दुश्मनों को नजर नहीं आएंगे। दुश्मन की रडार में भारतीय हथियार नजर नहीं आएंगे, वे एक तरह से 'अदृश्य' हो जाएंगे। आईआईटी कानपुर की इस तकनीक का नाम 'मेटामैटेरियल सर्फेस क्लॉकिंग टेक्नॉलजी' है।

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डिफेंस सेक्टर को मजबूत बनाएगी यह तकनीक

आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स का मानना है कि यह प्रोजेक्ट भारतीय रक्षा क्षेत्र की सामरिक क्षमताओं को गई गुना बढ़ा देगा। इस तकनीक के लग जाने पर भारतीय हथियार को रडार और अन्य निगरानी उपकरणों से पकड़ना काफी मुश्किल हो जाएगा।

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इस प्रोजेक्ट का नाम 'अनलक्ष्य' है

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य क्लोकिंग सिस्टम को विकसित करते हुए डिफेंस एप्लिकेशन में एक आमूल-चूल बदलाव लाना है। इस प्रोजेक्ट की खासियत है कि यह वस्तुओं को अदृश्य जैसा अथवा उनके पकड़ में आने की संभावना को काफी कम देता है।

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इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को अवशोषित कर लेते हैं

मेटामैटेरियल्स मैटेरियल की तकनीक वाले 'अनलक्ष्य प्रोजेक्ट' में ऐसे तत्वों को शामिल किया गया है जो पदार्थों में सामान्य रूप से नहीं पाए जाते। ये तत्व इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को अवशोषित कर लेते हैं। इस तरह सैन्य उपकरणों को रडार या निगरानी प्रणाली से छिपाना आसान हो जाता है।

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बनेंगे अगली पीढ़ी के उन्नत हथियार

समझा जाता है कि यह 'अनलक्ष्य प्रोजेक्ट' रक्षा क्षेत्र के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। इससे भारत को अगली पीढ़ी के उन्नत हथियार विकसित करने में काफी मदद मिलेगी।

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मेटामैटेरियल्स पर आधारित है यह तकनीक

'अनलक्ष्य प्रोजेक्ट' की सबसे बड़ी खूबी इसकी मेटामैटेरियल्स हैं। इस मेटामैटेरियल्स को इस तरह से बनाया गया है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स खासकर रडार सिग्नल को चकमा दे देते हैं। 'मेटामैटेरियल सर्फेस क्लॉकिंग सिस्टम' (MSCS) ऐसी तकनीक है जो अपने पास आने वाली लाइट अथवा अन्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों में बदलाव कर वस्तुओं को छिपा लेती है।