फिर करीब आए भारत-मालदीव, गिले शिकवे हुए दूर

विदेश मंत्री जयशंकर अपने तीन दिनों नौ से 11 अगस्त के दौरे पर मालदीव पहुंचे और उसे सौगातें दीं। भारतीय विदेश मंत्री की हालिया यात्रा को मालदीव द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण ‘मील का पत्थर’ बताया।

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मालदीव के तेवर ढीले हुए

बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मालदीव के तेवर ढीले हो गए हैं। बीते सात -आठ महीनों में ही उसे महसूस हो गया कि भारत के रहमो करम के बिना वह बदहाल हो जाएगा, उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और वह सड़क पर आ जाएगा।

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​फिर करीब आए भारत-मालदीव, गिले शिकवे हुए दूर

India Maldives Relation : जयशंकर ने कहा कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है तथा दोनों देश अपने सहयोग को आधुनिक साझेदारी में बदलने की आकांक्षा रखते हैं। जाहिर है कि दोनों देश एक बार फिर दोस्ती के अपने पुराने अंदाज में वापस लौट रहे हैं। आने वाले समय में प्रधानमंत्री मोदी अगर मालदीव की यात्रा पर जाते हैं तो दोनों देशों के बीच थोड़ी-बहुत जो अनबन बची होगी, वह भी खत्म हो जाएगी क्योंकि पड़ोसी के साथ खटास और मिठास चलती रहती है।

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मोईज्जू के चीन दौरे के बाद रिश्ते बिगड़े

भारत की नाराजगी उसे बहुत भारी पड़ जाएगी। इसलिए जितना जल्दी हो सके नई दिल्ली को मनाकर उससे रिश्ते पहले की तरह किए जाएं। दरअसल भारत और मालदीव के मजबूत रिश्ते में एक बड़ी दरार बीते जनवरी महीने में उस वक्त आ गई जब राष्ट्रपति मोहम्मद चीन के दौरे से लौटे।

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सड़क परियोजना का उद्घाटन

जयशंकर ने अड्डू पुनर्ग्रहण और तट संरक्षण परियोजना का हस्तांतरण समारोह और एक्जिम बैंक की ऋण सहायता के तहत भारत सरकार की मदद से बनाई गई 4-लेन डेटोर लिंक सड़क परियोजना के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही। इस अवसर पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भी मौजूद थे।

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मालदीव महत्वपूर्ण साझेदार

जयशंकर ने कहा, ‘मालदीव हमारे लिए हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार है। यह ‘पड़ोसी प्रथम’ की हमारी नीति के केंद्र में है। इसलिए यह बहुत ही स्वाभाविक है कि हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़ गया है