​​परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात आज होगा नौसेना में शामिल, इसका हर वार घातक​

Nuclear Submarine INS Arighat: दुश्मनों से लगातार चुनौतियों के बीच भारत अपनी समुद्री ताकत लगातार बढ़ा रहा है। भारत परमाणु मिसाइलों से लैस अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी को हिंद महासागर में उतारने जा रहा है। भारत आज अपनी दूसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी, आईएनएस अरिघात (INS Arighat) को नौसेना को सौंपने जा रहा है।आईएनएस अरिघात को विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नौसेना की सेवा में सौंपा जाएगा।

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आईएनएस अरिघात अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी

परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात भारतीय नौसेना की अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है। 6000 टन के आईएनएस अरिघात (INS Arighat) का निर्माण विजग में जहाज निर्माण केंद्र (SBC) में किया गया है। लंबे समय तक किए गए परीक्षणों के बाद यह कमीशनिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है। आईएनएस अरिहंत के साथ अब आईएनएस अरिघात समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हो जाएगा जो 2018 से कमान संभाल रहा है।

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अरिहंत के साथ बनी जोड़ी

आईएनएस अरिहंत के साथ अब आईएनएस अरिघात समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हो जाएगा जो 2018 से कमान संभाल रहा है।

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​प्रोजेक्ट-77

शुरुआत में एसबीसी में 'प्रोजेक्ट-77' के तहत छह ऐसी 6,000 टन की 'हंटर-किलर' पनडुब्बियों को तैयार करने का लक्ष्य था। बाद में इसे घटाकर तीन कर दिया गया और फिर आखिर में दो पनडुब्बियां बनाना तय किया गया।

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समुद्र में भी बढ़ेगी भारत की ताकत

आईएनएस अरिघात के बाद समुद्र में भी भारत की ताकत बढे़गी। आईएनएस अरिघात 750 किलोमीटर रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस होगा, लेकिन आईएनएस अरिहंत से अधिक भार ले जाने में सक्षम होगा।

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​चीन के पास 60 पनडुब्बियां​

चीन के पास 60 पनडुब्बियां हैं और वह लगातार इसे बढ़ा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बेड़े में छह जिन-क्लास एसएसबीएन (Jin-class SSBN) शामिल हैं, जो जेएल-3 मिसाइलों से लैस हैं, जिनकी मारक क्षमता 10,000 किमी है। (फोटो- AP)

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6 देशों के विशिष्ट क्लब का हिस्सा बना भारत

अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ भारत उन देशों के विशिष्ट क्लब का हिस्सा बन गया है जिनके पास परमाणु-संचालित पनडुब्बियां हैं। दुनिया में केवल छह देशों - अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन और भारत के पास अपने शस्त्रागार में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं।

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परमाणु पनडुब्बियों के लाभ

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के पारंपरिक डीजल से चलने वाली पनडुब्बियों की तुलना में कई फायदे हैं। इसमें ईंधन भरने के लिए बार-बार सतह पर न आना, उन्हें हफ्तों या महीनों तक पानी में रहने की खासियतें शामिल है।

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30 वर्षों तक कर सकते हैं काम

ये तेज होते हैं और 30 वर्षों तक काम कर सकते हैं। वे डीजल से चलने वाली पनडुब्बियों की तुलना में अधिक गुप्त हैं और पानी के भीतर अधिक समय तक अदृश्य रहती हैं।