देखता रह जाएगा चीन: समंदर का बादशाह बनेगा भारत, न्यूक्लियर सबमरीन बनाने की तैयारी शुरू

समंदर में चीन का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में भारतीय नौसेना भी अपनी ताकत को लगातार बढ़ाने में जुटी है। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना समंदर में न्यूक्लियर सबमरीन बनाने और उतारने की तैयारी कर रही है। नौसेना की ओर से इसके लिए केंद्र सरकार से संपर्क भी किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रोजेक्ट डेल्टा में देरी के कारण नौसेना ने दो न्यूक्लियर सबमरीन के निर्माण की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है।

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​जल्द कमीशन होने वाली है INS अरिघात​

वहीं, INS अरिहंत श्रेणी की भारत की दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन INS अरिघात भी नौसेना में जल्द ही कमीशन होने के लिए तैयार है। इस सबमरीन को इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में उतारा जाएगा।

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​INS अरिहंत पहले से है तैनात​

वहीं, एक अन्य न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत पहले ही नौसेना में शामिल है और इंडो-पैसिफिक के गहरे पानी में गश्त कर रही है। यह पनडुब्बी न्यूक्लियर हथियारों से भी लैस है।

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​ताकतवर INS अरिदमन भी होगी तैनात​

इसके अलावा INS अरिदमन भी अगले साल तक कमीशन होने के लिए तैयार है। यह न्यूक्लियर सबमरीन अहिरंत श्रेणी की सबमरीन से ज्यादा ताकतवर होगी।

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​अभी 750 KM है रेंज​

भारत के पास अरिहंत श्रेणी की चार सबमरीन हैं, जो 750 किलोमीटर रेंज की के-15 बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं।

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​नई सबमरीन होंगी ज्यादा ताकतवर​

INS अरिहंत के अलावा अलगी श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन और भी ज्यादा ताकतवर होंगी। ये सबमरीन 3000 किलोमीटर रेंज की के-4 बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस होगी।

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​क्यों पड़ रही न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत?​

भारत को न्यूक्लियर की इसलिए भी ज़रूरत है क्योंकि चीनी पनडुब्बियाँ क्वाड सहयोगी ऑस्ट्रेलिया के तट से दूर ओम्बाई-वेटर जलडमरूमध्य का इस्तेमाल करके हिंद महासागर में बिना किसी पहचान के प्रवेश कर रही हैं। इसके साथ ही ये कई तटों का सर्वे भी कर रही हैं, जो भारत के लिए बड़ा खतरना बन सकता है।