बेनाम हैं भारत के ये रेलवे स्टेशन, कोरा कागज बनकर सालों से हैं आबाद, जानें इनके पीछे की दिलचस्प कहानी
भारत में दो ऐसे रेलवे स्टेशन है जिनका कोई नाम नहीं है। ये स्टेशन झारखंड और पश्चिम बंगाल में है। इन स्टेशनों के साइन बोर्ड पर कोई नाम नहीं लिखा है। इनके बेनाम होने के पीछे की क्या कहानी है, आइए जानते हैं।
बिना नाम वाले रेलवे स्टेशन
भारतीय रेलवे विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। इंडियन रेलवे को भारत की लाइफलाइन भी कहते हैं। ट्रेन में रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं और अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। वर्तमान में देश में 7000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि भारत में दो रेलवे स्टेशन ऐसे भी है, जिनका कोई नाम नहीं है। आइए जानते हैं कि ये रेलवे स्टेशन कहां हैं और इनके बेनाम होने की वजह क्या है?
पश्चिम बंगाल और झारखंड
भारत में बिना नाम वाला एक रेलवे स्टेशन झारखंड और दूसरा पश्चिम बंगाल में है। पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में बांकुरा-मैसग्राम रेलखंड पर यह बिना नाम का स्टेशन बना हुआ है। वहीं दूसरा स्टेशन झारखंड में रांची-टोरी रेलखंड पर बना है। इन स्टेशनों के बेनाम होने की कहानी भी काफी दिलचस्प है।
पहले रैनागढ़ था स्टेशन का नाम
साल 2008 में पश्चिम बंगाल में बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर एक रेलवे स्टेशन बनाया गया था। यह बर्धमान टाउन से 35 किमी दूर स्थित था। यह स्टेशन रैना और रैनागढ़ नाम के दो गांवों के बीच बनाया गया था। पहले इस स्टेशन का नाम रैनागढ़ रखा गया था। लेकिन रैना गांव के लोगों ने इसका विरोध किया। इस गांव के लोगों का कहना था कि यह रेलवे स्टेशन उनकी जमीन पर बना है।
नाम को लेकर दो गांवों में छिड़ा विवाद
इस रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर रैना और रैनागढ़ गांव के बीच विवाद शुरू हो गया। इस मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड तक पहुंच गई। जिसके बाद उन्होंने स्टेशन पर लगे साइन बोर्ड से इसका नाम मिटा दिया। तब से अब तक इस रेलवे स्टेशन का कोई नाम नहीं रखा गया है।
गांव के लोगों ने किया नाम का विरोध
झारखंड के लोहरदगा जिले में दूसरा बिना नाम वाला स्टेशन है। रांची स्टेशन से टोली के लिए जाने पर यह स्टेशन रास्ते में पड़ता है। इस रेलवे स्टेशन को 2011 में शुरू किया गया था। तब इसका नाम 'बड़कीचांपी' रखा गया था। लेकिन कमले गांव के लोगों को यह नाम रास नहीं आया और इसके विरोध में उन्होंने विरोध शुरू कर दिया।
कोई ऑफिशियल नाम नहीं
दरअसल इस रेलवे स्टेशन को तैयार करने में कमले गांव के लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी। गांव वालों का कहना था कि इस स्टेशन का निर्माण उनके गांव की जमीन पर हुआ है। इस कारण इस स्टेशन का नाम कमले होना चाहिए। तब से इस स्टेशन को कोई ऑफिशियल नाम नहीं मिला।
कहां की टिकट कटवाते हैं लोग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के इस स्टेशन का नाम रेलवे के डॉक्यूमेंट्स में बड़कीचांपी ही है। इस स्टेशन से जो यात्री ट्रेन पकड़ते हैं उनके पास बड़कीचांपी का ही टिकट रहता है। लेकिन इस रेलवे स्टेशन पर नाम का कोई साइन बोर्ड नहीं है।
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