जब हिटलर के करीबी को पकड़ लाई थी Mossad; ऐसे दिया था 'ऑपरेशन फिनाले' को अंजाम

Mossad Operation: इजरायल कभी भी अपने दुश्मनों को माफ नहीं करता है। यह तो हर किसी को पता ही है, क्योंकि इजरायली खुफिया एजेंसी 'मोसाद' ने कई ऐसे ऑपरेशनों को अंजाम दिया है जिसकी योजना बना पाना शायद आम खुफिया एजेंटों के बस की बात नहीं है। आप सभी तो मोसाद के ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड (Operation Wrath of God) के बारे में जानते ही होंगे, लेकिन एक और बहुचर्चित ऑपरेशन भी था जिसे मोसाद ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया था और उसे हम 'ऑपरेशन फिनाले' (Operation Finale) के नाम से जानते हैं।

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क्या है ऑपरेशन फिनाले?

साल 1957 में यहूदी नस्ल के एक जर्मन व्यक्ति ने इजरायली खूफिया एजेंसी से संपर्क किया और उन्हें जानकारी दी कि एडोल्फ फिटलर का करीबी नाजी युद्ध अपराधी एडोल्फ आइकमेन अभी जीवित हैं। इस एक जानकारी के माध्यम से मोसाद ने ऑपरेशन फिनाले चलाया।

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कौन हैं एडोल्फ आइकमेन?

एडोल्फ आइकमेन लंबे समय तक एडोल्फ हिटलर की सीक्रेट स्टेट पुलिस 'गेस्टापो' में यहूदी विभाग के प्रमुख थे और उनके कार्यकाल में एक प्रोग्राम चलाया गया था जिसका नाम 'फाइनल साल्यूशन' था। इस दौरान हजारों यहूदियों को मौत के घाट उतारा गया था।

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तत्कालीन PM ने मिशन पर लगाई थी मुहर

मोसाद को जब एडोल्फ आइकमेन के बारे में पता तो उन्होंने इसके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियों को जानकारी दी और उन्होंने एजेंसी को एडोल्फ आइकमेन को जिंदा पकड़कर लाने का मिशन सौंपा।

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अर्जेंटीना में दाखिल हुए चार एजेंट

एडोल्फ आइकमेन अर्जेंटीना में नाम बदलकर रहता था, लेकिन 1960 में मोसाद ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिस पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं। मोसाद के चार एजेंट अलग-अलग इलाकों से अर्जेंटीना में दाखिल हुए और ब्यूनस आर्यस में एक घर किराये पर लेकर जानकारी जुटाने लगे।

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बस से सफर करता था आइकमेन

मोसाद के एजेंटों ने बिना एडोल्फ आइकमेन को भनक लगे यह पता लगाया कि वह रोजाना शाम 7:40 बजे बस नंबर 203 से सफर करते थे। बस से उतरने के बाद वह अपने घर तक पैदल ही सफर किया करते थे, जो ज्यादा दूर नहीं था। ऐसे में योजना बनाई गई कि बस से उतरते ही एडोल्फ आइकमेन को कब्जे में लिया जाएगा।

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आइकमेन को पकड़ने की बदली गई तारीख

मोसाद ने तय किया कि 10 मई को एडोल्फ आइकमेन को कब्जे लिया जाएगा और फिर उन्हें वहां से इजरायल लाया जाएगा, लेकिन अंतिम समय पर तारीख में तब्दीली हुई और 11 मई को आइकमेन को अगवा किया गया। इसके बाद एक-दो दिनों तक उसे वहीं अर्जेंटीना में छिपाकर रखा गया।

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अर्जेंटीना से कैसे बाहर निकले एजेंट?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्री अबा एवन एक इजरायली विमान से अर्जेंटीना में एक खास कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले थे। ऐसे में मोसाद की योजना थी कि बिना शिक्षा मंत्री को जानकारी दिए उसी विमान से एडोल्फ आइकमेन को तेल अवीव लाया जाएगा।

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आइकमेन को सुनाई गई फांसी की सजा

एडोल्फ आइकमेन को 11 मई को अगवा किया गया और फिर से विमान में छिपाकर तेल अवीव लाया गया था। महीनों तक एडोल्फ आइकमेन के खिलाफ तेल अवीव में मुकदमे चले और अंतत: उन्हें 15 दिसंबर, 1961 को फांसी की सजा सुनाई और 31 मई, 1962 को एडोल्फ आइकमेन को फांसी दी गई।