Golgappa history: पीएम मोदी संग जापानी पीएम ने चाव से खाए गोलगप्पे, जानें-क्या है इतिहास

भारत के खान पान की चर्चा पूरी दुनिया में होती है। देश के अलग अलग हिस्सों में तरह तरह के व्यंजन का इतिहास है। कुछ वैसा ही इतिहास गोलगप्पों का है। हाल ही में जब जापान के पीएम फूमियो किशिदा भारत की यात्रा पर थे तो पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें बुद्ध जयंती पार्क ले कर गए और खुले आसमां के नीचे प्राकृतिक वातावरण में गोलगप्पों और लस्सी का आनंद लिया। यहां पर हम गोलगप्पों के बारे में खास जानकारी देंगे।

01 / 09
Share

गोलगप्पा कूटनीति

जापान के पीएम फूमियो किशिदा हाल ही में भारत के दौरे पर थे। खास बात यह थी कि पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें बुद्धा जयंती पार्क का दीदार कराया और खासतौर पर गोलगप्पे खिलाए।

02 / 09
Share

बुद्ध जयंती पार्क में लिया स्वाद

तस्वीरों में आप देख भी सकते हैं कि किस तरह से जापानी पीएम गोलगप्पों को चाव से खा रहे हैं। उनको इस व्यंजन के बारे में विस्तार से बताया भी गया।

03 / 09
Share

गोलगप्पे का पौराणिक कनेक्शन

गोलगप्पा या पानीपूरी या फुचका को लेकर खासतौर से दो तरह की थ्योरी प्रचलन में है। पौराणिक कथा के मुताबिक गोलगप्पे का इतिहास महाभारत काल से है। जह पांडव अज्ञातवास में थे तो कुंती ने द्रौपदी से व्यंजन बनाने के लिए कहा। उन्होंने आटा औक सब्जी दी। बताया जाता है कि द्रौपदी ने गोलगप्पा बनाया।

04 / 09
Share

गोलगप्पे का ऐतिहासिक कनेक्शन

जो लोग इसके ऐतिहासिकता का दावा करते हैं उनके मुताबिक मगध साम्राज्य में इसका आविष्कार हुआ। यानी कि भारत के बिहार राज्य में इसका आविष्कार हुआ।

05 / 09
Share

गोलगप्पे से जुड़ा तीसरा कनेक्शन

खाने पीने के शौकीन लोगों के मुताबिक गोलगप्पे के आविष्कार का केंद्र पूर्वी यूपी और बिहार से जुड़ा हो सकता है। अब चाहे गोलगप्पे की जो भी थ्योरी हो यह राष्ट्रीय पहचान बन चुका है।

06 / 09
Share

भारत-जापान संबंध पर बल

गोलगप्पा और लस्सी का आनंद लेने के बाद पीएम मोदी और जापानी पीएम फूमियो किशिदा ने बुद्ध जयंती पार्क की चहलकदमी भी की। भारत के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

07 / 09
Share

लस्सी का भी लिया आनंद

भारत और जापान के पीएम दोनों लोगों ने गोलगप्पों को खाने के बाद लस्सी का भी आनंद लिया और एक बेंच पर बैठकर गुफ्तगू भी की।

08 / 09
Share

गोलगप्पा स्टॉल पर दो देश के पीएम

पीएम मोदी अपने अतिथियों के लिए आदर भाव सत्कार के लिए जाने जाते हैं। किसी भी खास मौके पर विदेशी मेहमानों को भारत की खूबियों को बताने और समझाने का मौका नहीं छोड़ते।

09 / 09
Share

गोलगप्पा की अब राष्ट्रीय पहचान

गोलगप्पे का संबंध पौराणिक काल से हो या ऐतिहासिक संबंध। अब इसे राष्ट्रीय पहचान हासिल हो चुकी है। देश के किसी भी शहर में गोलगप्पे के स्टॉल को आप देख सकते हैं।