टाइगर हिल्स पर जीत का वो प्लान, भारत ने पाकिस्तान को ऐसे दिखाई उसकी औकात

Kargil War Tiger Hill Story: 26 जुलाई को 'कारगिल युद्ध के पूरे 25 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस युद्ध को भारत की विजय और सैनिकों की शहादत को 'विजय दिवस' के रूप में याद किया जाता है। कारगिल युद्ध की शुरूआत पाकिस्तान ने की थी। इस युद्ध को हर भारतवासी गर्व के साथ याद करता है। क्योंकि भारतीय सेना के शूरवीरों जवानों ने दुश्मनों का सामना डटकर किया था। कारगिल युद्ध में हमारे वीर सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान देकर तिरंगे की शान को बरकरार रखा है।

टाइगर हिल्स पर जीत की शौर्यगाथा
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टाइगर हिल्स पर जीत की शौर्यगाथा

कारगिल में टाइगर हिल्स ही सबसे ऊंची और महत्वपूर्ण पहाड़ी थी। कारगिल युद्ध के वक्त दुश्मन इसी पहाड़ी पर कब्जा जमाए बैठा था और आसानी से श्रीनगर-कारगिल-लेह मार्ग पर नजर रख रहा था। भारतीय सेना के लिए इस चोटी को वापस हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती थी। टाइगर हिल्स, कारगिल युद्ध का टर्निंग प्वाईंट थी। तोतोलिंग और उसके आसपास की दूसरी पहाड़ियों पर से पाकिस्तानी सेना को वापस धकेल दिया गया था। लेकिन टाइगर हिल्स पर कब्जा जमाना असंभव सा लग रहा था।और पढ़ें

टाइगर हिल्स पर लड़ाई कितनी बड़ी चुनौती
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टाइगर हिल्स पर लड़ाई कितनी बड़ी चुनौती?

भारतीय सेना ने टाइगर हिल्स को वापस हासिल की योजना तैयार कर ली। योजना बनाने से पहले भारतीय हवाई जहाजों ने दुश्मन की स्थिति का जायजा ले लिया। 192 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर, ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने 18 ग्रेनेडियर्स और 8 सिख रेजीमेंट को टाइगर हिल्स पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी। अलग-अलग दिशाओं से भारतीय जवान आगे बढ़े। 41 फील्ड रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर ने तोप के गोले दागने की योजना बनायी। टाइगर हिल्स पर सटीक गोले दागने के लिए बोफोर्स तोप का इस्तेमाल किया गया। भारतीय फौज ने मध्यम दूरी की तोप 122 एमएम मल्टी बैटल ग्रेड लॉन्चर और मोर्टार से दुश्मनों पर हमला बोला। दूसरी तरफ भारतीय वायु सेना ने भी 2-3 जुलाई के दरम्यान ही टाइगर हिल्स पर मौजूद दुश्मनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था।और पढ़ें

खराब मौसम और अंधेरे के बीच युद्ध
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खराब मौसम और अंधेरे के बीच युद्ध

टाइगर हिल्स पश्चिम से पूरब तक 2200 मीटर और उत्तर से दक्षिण तक 1000 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। टाइगर हिल्स के हिस्से पर पाकिस्तान सेना की 12वीं इंफैंट्री की करीब एक कम्पनी तैनात थी और भारतीय सेना पर उपर से गोले बरसा रही थी। 3 जुलाई 1999 को खराब मौसम और अंधेरे के बीच भारतीय फौज ने अपना अभियान शुरू किया था। सेना लगातार आगे बढ़ रही थी। योजना के मुताबिक अंधेरे का फायदा उठाकर दुश्मन के करीब पहुंचना था।और पढ़ें

टाइगर हिल पर कैसे भारत ने जमाया कब्जा
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टाइगर हिल पर कैसे भारत ने जमाया कब्जा?

4 जुलाई 1999 को टाइगर हिल की जीत के लिए दूसरे मोर्च पर कैप्टन बलवान सिंह अपनी सी-कंपनी और सहयोगी पलटन के साथ अचानक पाकिस्तानी और आतंकवादियों पर टूट पड़े। उन्होने लक्ष्य से ठीक 30 मीटर पहले अपना कब्जा जमा लिया था। दूसरी तरफ 18 ग्रेनेडियर्स ने पहले से ही चोटियों पर कब्जा कर लिया था। टाइगर हिल्स पर फतेह के इरादे से आगे बढ़ी भारतीय फौज ने पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और अचानक हमले को दुश्मन समझ नहीं पाया और भाग खड़ा हुआ।और पढ़ें

जनरल मलिक ने प्रधानमंत्री को दी जानकारी
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जनरल मलिक ने प्रधानमंत्री को दी जानकारी

नई दिल्ली को टाइगर हिल्स पर फतह की सूचना दी गयी। खबर की पुष्टि हो जाने के तुरंत बाद तत्कालिन जनरल मलिक ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी को इसकी सूचना दी। टाइगर हिल्स पर फतह के बाद भारतीय फौज ने दक्षिण-पश्चिमी रास्ते से आगे बढ़कर दुश्मन को दूसरी चोटियों से भी खदेड़ दिया था। 4 जुलाई को हुए 24 घंटे के घमासान युद्ध की बदौलत ही भारतीय सैनिकों ने टाइगर हिल्स पर विजय हासिल की थी। 5 जुलाई की शाम तक टाइगर हिल्स पर भारतीय झंड़ा फहराने लगा था। और पढ़ें

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