इन 29 देशों में समलैंगिक शादी को मिली है कानूनी मान्यता, भारत में है अड़चन

भारत में समाज का एक बड़ा तबका समलैंगिक शादी का विरोध करता है। भारत में समलैंगिक शादी का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है जो इस पर अपना फैसला देगी। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी है कि समलैंगिक शादी भारतीय परिवार की अवधारणा एवं परंपरा के अनुरूप नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि समान सेक्स संबंध की तुलना भारतीय परिवार की पति, पत्नी से पैदा हुए बच्चों के अवधारणा से नहीं की जा सकती।

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दुनिया में तमाम ऐसे देश हैं जहां समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिली हुई है। विश्व के करीब 29 देशों में इस शादी को कानूनी संरक्षण प्राप्त है।

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समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने वाला नीदरलैंड दुनिया का पहला देश था। इस देश ने एक अप्रैल 2001 को इस तरह की शादी को मान्यता दी।

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बेल्जियम में साल 2003 में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दी गई। साल 2006 में समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया गया।

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स्पेन में 2005 में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दी गई। हालांकि, कंजरवेटिव नेता और रोमन कैथोलिक चर्च इसे मान्यता देने के खिलाफ थे।

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कनाडा की सरकार ने अपने यहां 2005 में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता दी। यहां भी इसका विरोध हुआ।

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दक्षिण अफ्रीका की सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2005 में कहा कि देश का शादी से जुड़ा कानून संविधान के समान अधिकारों का उल्लंघन करता है। उसने कानून में समलैंगिक शादियों को शामिल करने के लिए सरकार को एक साल का वक्त दिया। साल 2006 में गे मैरिज को कानूनी मान्यता दी गई।

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इनके अलावा नॉर्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, आइसलैंड, अर्जेंटीना, डेनमार्क, ब्राजील, फ्रांस, अमेरिका में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिली हुई है।

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इंग्लैंड एंड वेल्स, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड, लक्जमबर्ग, ग्रीनलैंड, आयरलैंड, कोलोंबिया, फिनलैंड, माल्टा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया और ताइवान में समलैंगिक शादी को मान्यता है।

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भारत सहित दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां पर समलैंगिक शादी को मान्यता देने के लिए कानूनी लड़ाई चल रही है।