काम, नाम और दाम की त्रिमूर्ति है यह भारतीय मिसाइल

ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है। इस मिसाइल को भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) और रूस ने संयुक्त रूप से मिलकर तैयार किया है। इसे समुद्र, समुद्र के नीचे, जमीन और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। आवाज की रफ्तार से तीन गुनी तेज इस मिसाइल में ऐसी खासियते हैं जो इसे अजेय बनाती हैं।

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वारहेड के साथ यह मिसाइल अपनी सुपरसोनिक गति के साथ 290 किलोमीटर तक मार कर सकती है।

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यह मिसाइल 'फायर एंड फॉरगेट' सिद्धांत पर काम करती है। मतलब यह मिसाइल निकलने के बाद अपने लक्ष्य को भेद कर ही रहती है।

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मौजूदा अत्याधुनिक सबसोनिक क्रूज मिसाइलों की तुलना में ब्रह्मोस के पास 3 गुना अधिक वेग है। 2.5 से 3 गुना अधिक उड़ान रेंज और 9 गुना ज्यादा काइनेटिक एनर्जी है।

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ब्रह्मोस मिसाइल को पहली बार नौसेना में साल 2005 में शामिल किया गया। 2007 के बाद यह मिसाइल थल सेना के पास भी है।

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यही नहीं वायु सेना इस मिसाइल को अपने सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान में लगा चुकी है। सुखोई से इस घातक मिसाइल का सफल परीक्षण हो चुका है।

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भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का रविवार को सफल परीक्षण किया। नौसेना के फ्रंटलाइन गाइडेड मिसाइल डस्ट्रायर आईएनएस मोरमुगाओ से यह परीक्षण किया गया।

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ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है। यह भारत और रूस की क्षमताओं का उत्कृष्ट नमूना है।

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ब्रह्मोस मिसाइल रक्षा क्षेत्र भारत की बढ़ती धाक एवं 'मेक इन इंडिया' अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है। देश इस मिसाइल पर गर्व करता है।

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भारत से यह मिसाइल कई देश खरीदना चाहते हैं। फिलीपींस पहला देश है जिसने इस मिसाइल को खरीदने के लिए भारत से करीब 374 मिलियन डॉलर का सौदा किया।

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रिपोर्टों के मुताबिक फिलीपींस के बाद इंडोनिशया भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहता है। मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर एवं वियतनाम भी इस मिसाइल को खरीदना चाहते हैं।