जानें क्या और कितना खास है BHISHM Cube, जिसे PM मोदी ने जेलेंस्की को किया था गिफ्ट
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने एक दिवसीय यूक्रेन यात्रा पर राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को BHISHM Cube गिफ्ट किया था। क्या आप जानते हैं कि यह मेड इन इंडिया BHISHM Cube क्या होते है। आइए आज आप को इस बारे में बताते है...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक दिवसीय यूक्रेन दौरे पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन में शांति और सुरक्षा को लेकर भी बातचीत की थी। पीएम मोदी ने इस यात्रा के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को BHISHM Cube गिफ्ट किया।

BHISHM Cube
BHISHM Cube एक पोर्टेबल मोबाइल अस्पताल की तरह है, जिसे आपदा प्रबंधन और इमरजेंसी मेडिकल सपोर्ट के लिए डिजाइन किया गया है। क्या आप जानते हैं कि ये BHISHM Cube क्या है और कैसे काम आता है।

प्रोजेक्ट BHISHM
BHISHM Cube को 'प्रोजेक्ट BHISHM' यानी भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित, एंड मैत्री के तहत विकसित किया गया है। यह परियोजना, फरवरी 2022 में घोषित की गई थी। पीएम मोदी के नेतृत्व में भीष्म प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। इस पोर्टेबल अस्पताल का लक्ष्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से मेडिकल सहायता प्रदान करने का है।

720 किलोग्राम का है भीष्म क्यूब
BHISHM Cube मॉडर्न मेडिकल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसे पैराशूट के जरिए आपदा और युद्ध प्रभावित इलाकों में आसानी से गिराया जा सकता है। एक साथ 200 प्रभावित लोगों को संभालने के लिए ये क्यूब तुरंत मददगार हो सकती है। जानकारी के मुताबिक इसका वजन 720 किलोग्राम है। क्यूब का इनोवेटिव डिजाइन इसे सिर्फ 12 मिनट के भीतर शुरू करने की अनुमति देता है।

ऑपरेशन थियेटर समेत कई तरह की सुविधाओं से है लैस
ये क्यूब मजबूत और हल्के होते हैं। ये बॉक्स अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों से लैस होते हैं, इसमें एक ऑपरेशन थियेटर, एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर और अलग-अलग चोटों के इलाज के लिए सुविधाएं होती हैं। BHISHM Cube मजबूत, जलरोधक डिजाइन अलग-अलग वातावरण में स्थायित्व सुनिश्चित करता है।

भारतीय वायु सेना
भीष्म क्यूब का भारतीय वायु सेना ने मई 2024 में आगरा के मालपुरा ड्रॉपिंग जोन में सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। बता दें कि 1.50 करोड़ रुपये की कीमत वाली प्रत्येक यूनिट को स्थिरता और ऑपरेशनल दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है। इस क्यबू के पहुंचने के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है।

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