चंद्रगुप्त, अशोक, महाराणा प्रताप से कम नहीं था भारत का यह राजा, बाबर भी था जबरा फैन
तुलुव वंश से आने वाले कृष्ण देवराय को उस समय का सबसे शक्तिशाली राजा माना जाता था। इस वंश ने (1505-1570 ई.) तक विजयनगर साम्राज्य पर राज किया। विजयनगर का साम्राज्य राजा कृष्ण देवराय के कार्यकाल में भव्यता के शिखर पर पहुंच गया था। उन्होंने जो भी लड़ाइयां लड़ी, उन सभी में सफल रहे। उन्होंने ओडिशा के राजा को पराजित किया और विजयवाड़ा तथा राजमहेन्द्री को जोड़ा।
भारत के बड़े राजाओं में गिनती
इनकी ख्याति के कारण सम्राट कृष्ण देवराय को इतिहास के पन्नों में चित्रगुप्त मौर्य, पुष्यमित्र, चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, स्कंदगुप्त, हर्षवर्धन और महाराजा भोज के सामान्तर माना जाता है।
हम्पी में राजा कृष्ण देवराय का जन्म
विजयनगर की राजधानी हम्पी में राजा कृष्ण देवराय का जन्म 16 फरवरी 1471 ई. को हुआ था। उनके पिता का नाम तुलुवा नरसा नायक और माता का नाम नागला देवी था। उस समय उनके पिता नरसा नायक सालुव वंश के एक सेनानायक थे।
विजयनगर की सत्ता हासिल कर ली
नरसा नायक ही सालुव वंश के दूसरे और अंतिम कम उम्र के शासक इम्माडि नरसिंह के संरक्षक थे। बाद में नरसा नायक ने शासक इम्माडि नरसिंह को रास्ते से हटाकर 1491 में विजयनगर की सत्ता हासिल कर ली।
1529 में कृष्ण देव राय की मृत्यु
विजयनगर साम्राज्य का पतन 1529 में कृष्ण देव राय की मृत्यु के साथ शुरू हुआ। यह साम्राज्य 1565 में पूरी तरह समाप्त हो गया जब आदिलशाही, निजामशाही, कुतुबशाही और बरीद शाही के संयुक्त प्रयासों द्वारा तालीकोटा में रामराय को पराजित किया गया।
बाबर ने की प्रशंसा
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी में कृष्ण देवराय को भारत का सबसे शक्तिशाली राजा बताया है। इन्हें सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप के समकक्ष रखा जाता है।
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