कुमार मंगलम बिड़ला कभी हुआ करते थे 'बड़े आलसी', अब बने टॉप नागरिक पुरस्कार पाने वाले फैमिली के चौथे सदस्य
पद्म भूषण सम्मान पाने के बाद आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भले ही देश के टॉप नागरिक पुरस्कारों को पाने वाले अपनी फैमिली के चौथे सदस्य बन गए हों, मगर यह भी सच है कि वह कभी बहुत आलसी हुआ करते थे।
कुमार मंगलम बिड़ला कभी हुआ करते थे 'बड़े आलसी', अब बने टॉप नागरिक पुरस्कार पाने वाले फैमिली के चौथे सदस्य
पद्म भूषण सम्मान पाने के बाद आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भले ही देश के टॉप नागरिक पुरस्कारों को पाने वाले अपनी फैमिली के चौथे सदस्य बन गए हों, मगर यह भी सच है कि वह कभी बहुत आलसी हुआ करते थे।
कुमार पिता के आज भी हैं शुक्रगुजार
बिड़ला ने यह बात साल 2019 में अंग्रेजी अखबार "हिंदुस्तान टाइम्स" की लीडरशिप समिट के दौरान यह बताया था- मैं अपने पिता का बहुत शुक्रगुजार हूं कि आज जो कुछ भी मैं हूं, उनकी वजह से हूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि मैं कभी बहुत आलसी हुआ करता था।
घर जाने के बाद क्या काम के बारे में सोचते हैं बिड़ला?
कार्यक्रम में तब बिड़ला से यह भी पूछा गया था कि आप कारोबार संबंधी असफलताओं का कैसे सामना करते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने दो टूक कहा था- मैं असफलता और सफलता को खुद पर हावी नहीं होने देता हूं। घर जाने के बाद काम के बारे में सब कुछ भूल जाता हूं।
मुर्मू से मिला यह खास सम्मान
दरअसल, 55 बरस के कुमार मंगलम को बुधवार (22 मार्च, 2023) को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से सम्मानित किया। वह इसके साथ ही देश के शीर्ष नागरिक पुरस्कारों को पाने वाले अपने परिवार के चौथे सदस्य बन गए।
बिड़ला फैमिली में और किन्होंने पाया है यह सम्मान?
बिड़ला से पहले उनकी मां राजश्री बिड़ला को साल 2011 में पद्मभूषण सम्मान मिला था, जबकि परदादा जी डी बिड़ला को साल 1957 में दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया था। वहीं, कुमार मंगलम के दादा बी के बिड़ला के चचेरे भाई जी पी बिड़ला को भी वर्ष 2006 में पद्मभूषण से पुरस्कृत किया गया था।
36 मुल्कों तक है बिड़ला समूह की पहुंच
ऐसे में कुमार मंगलम अपने परिवार से पद्म पुरस्कार पाने वाले चौथे सदस्य बन गए हैं। उन्होंने 28 साल पहले आदित्य बिड़ला समूह की कमान संभाली थी और इस दौरान इसका विस्तार नए कारोबारी क्षेत्रों में भी किया। अभी इस समूह की मौजूदगी दुनिया के 36 देशों में है।
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