जानें-गोरखपुर को क्यों कहा जाने लगा था क्राइम कैपिटल शिकागो
एक शहर जो कई सभ्यताओं का गवाह रहा। एक शहर जिसने ना जाने कितने राजा महाराजाओं के शासन को देखा। एक शहर जो आध्यात्म की दुनिया में नाथ पीठ के नाम से जाना जाता है। एक शहर जिसकी गलियों में गोलियों की गूंज कभी आम बात हुआ करती थी, वो शहर अब विकास की सड़क पर सरपट दौड़ रहा है। उस शहर का नाम गोरखपुर है जिसे कभी क्राइम कैपिटल शिकागो भी कहा जाता था।
वर्चस्व बनाने की लड़ाई
तस्वीर में गोरखपुर जंक्शन है। इस जंक्शन ने गोरखपुर की सियासत को खूनी कर दिया। 1970 के आखिरी वर्षों में जनता पार्टी से विधायक रहे रविंद्र सिंह की हत्या हुई और गोरखपुर की गलियों में दो गुटों के बीच लड़ाई का अंतहीन दौर शुरू हो गया।
हरिशंकर तिवारी
तस्वीर में जिस शख्स को आप देख रहे हैं उनका नाम हरिशंकर तिवारी हैं, अब इनका दामन पूरी तरह पाक साफ है। लेकिन इतिहास ऐसा नहीं था। दो खेमों में से एक खेमे की कमान इनके हाथों में थी। किसी की सांस को हलक में अटकानी हो तो इनका एक इशारा काफी होता था।
बड़हलगंज कस्बे से खास नाता
यह तस्वीर गोरखपुर जिले के उस कस्बे की है जो हरिशंकर तिवारी के साथ साथ उनके प्रबल प्रतिद्वंदी रहे वीरेंद्र प्रताप शाही से जुड़ी है। कस्बे का नाम बड़हलगंज है। इस कस्बे से महज 15 किमी दूर हरिशंकर तिवारी का गांव टांड़ा और वीरेंद्र प्रताप शाही का गांव महुआपार था।
गोरखपुर विश्वविद्यालय का जिक्र जरूरी
हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही के बीच आपसी तनातनी में गोरखपुर विश्वविद्यालय का जिक्र करना भी जरूरी है। रविंद्र सिंह की हत्या के कुछ महीनों के बाद ही रंगनाथ पांडे नाम के शख्स की हत्या हुई और उसके बाद से तिवारी और शाही एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गये।
सियासत के रास्ते पर हरिशंकर तिवारी
1980 से लेकर 1985 तक शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता था जब दोनों गुटों में से किसी ना किसी कि हत्या हो जाया करती थी। गोरखपुर को बाकायदा क्राइम कैपिटल शिकागो कहा जाने लगा था। हालांकि बाद के वर्षों में दोनों बाहुबलियों ने सियासत को अपना ठिकाना बना लिया।
गोरखपुर क्यों बना क्राइम कैपिटल शिकागो
शिकागो, अमेरिका का एक शहर है। इस शहर में अपराध का ग्राफ सबसे ऊपर हुआ करता था। जब गोरखपुर में गैंगवार में हर दिन किसी ना किसी कि हत्या होती थी तो इस शहर की तुलना शिकागो से होने लगी।
ना जाने कितने यतीम हो गए
हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही की गैंगवार में यह तो निश्चित था कि कोई ना कोई मारा जाएगा। लेकिन गोली किसे अपना निशाना बनाएगी यह नहीं पता होता था। दोनों की अदावत में सैंकड़ों बच्चे यतीम और औरतें बेवा हो गईं।
रामगढ़ ताल भी गैंगवार का बना गवाह
यह तस्वीर रामगढ़ ताल की है। शांत भाव से ना जाने कितनी सभ्यताओं का गवाह रहा है। यह ताल गोरखपुर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है। लेकिन 1980 के दशक में गोलियों की तड़तड़ाहट से पैदा होने वाली तरंगों से ताल का पानी कांप उठता था। हालांकि अब पर्यटन गुलजार है।
योगी की दहाड़, अब अपराधियों की खैर नहीं
हालांकि अब गोरखपुर पहले जैसा नहीं रहा। योगी आदित्य नाथ ने जब पहली बार सीएम की कुर्सी पर बैठे तो साफ कर दिया कि अब प्रदेश में या तो गुंडे जेल के अंदर होंगे या प्रदेश से बाहर। अब गोरखपुर में पूरी तरह से कानून का राज स्थापित है।
मर्सिडीज ने मायबाक एस-क्लास को वापस बुलाया, बस इतने धन्नासेठों के पास
बुधवार को किन्नरों से दान में मांग ले ये छोटी सी चीज, छप्पर फाड़कर बरसेगा पैसा
इस सप्ताह सूर्य और बुध इन 5 राशि वालों को कर देंगे मालामाल!
यूं ही नहीं बन सकतीं नागा साधु, औरतों को झेलने पड़ते हैं कई दर्द, जानकर कांप जाएगी रूह
Stars Spotted Today: टॉक्सिक के सेट से लीक हुआ यश का लुक, एकदम नए अंदाज में दिखे रणबीर कपूर
Punjab-Haryana Cold Wave: हरियाणा-पंजाब में ठंड ने मचाई हाय तौबा, तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस; सर्द रातें जीना करेंगी हराम
Delhi-NCR Cold: दिल्ली-NCR में सर्दी का कहर, तापमान ने तोड़े रिकॉर्ड! शीतलहर हालत करेगी खराब
दुश्मन के लिए काल बनेगा लाइट टैंक जोरावर, ऊंचे पहाड़ों पर चीन को पटखनी देने के लिए भारत ने किया सफल परीक्षण
गुवाहाटी रेलवे स्टेशन और गौहाटी विश्वविद्यालय में बम ब्लास्ट की धमकी, ईमेल में दहशतगर्दों ने लिखी ये बात
India Economic Conclave 2024: 2025 में सिंगल से मिंगल हो जाएंगे Kartik Aaryan? अपने सपनों की मल्लिका को लेकर कहीं ये बातें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited