ये कोई उम्र थी जाने की...जब शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी लेने पहुंचीं कीर्ति अवार्ड, हर किसी की आंखें हो गईं नम
भारतीय सेना के कैप्टन अंशुमन सिंह सेना ज्वाइन करने के कुछ महीने बाद ही शहीद हो गए थे। कैप्टन अंशुमन की शादी को सिर्फ 5 महीने हुए थे, जब वो जुलाई 2023 में सियाचिन में शहीद हो गए। शहीद अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह जब अपने पति का कीर्ति चक्र लेने राष्ट्रपति के पास पहुंची तो उन्हें देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। हर किसी के जुबां पर कैप्टन अंशुमन की शौर्य गाथा तैरने लगी।
कैप्टन अंशुमन सिंह के जज्बे को सलाम
जुलाई 2023 में सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद के भंडार में सुबह 3 बजे शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई थी। जब भंडार में आग लगी, तो कैप्टन अंशुमन सिंह ने फाइबर-ग्लास हट के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए दौड़ पड़े।
आग ने ले ली कैप्टन अंशुमन सिंह की जान
इसी आग ने कैप्टन अंशुमन सिंह की जान ले ली। कैप्टन अंशुमन ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए आग से तीन जवानों को बचा लाए, लेकिन इसी क्रम में वो खुद झुलस गए। जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
कैप्टन अंशुमन की लव स्टोरी
स्मृति सिंह ने अपनी प्रेम कहानी को याद करते हुए कहती है- "हम कॉलेज के पहले दिन मिले थे। यह पहली नजर का प्यार था। हम एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले थे।
एक महीने बाद ही हो गए दूर
एक महीने के बाद, अंशुमन का चयन सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) में हो गया। जिसके बाद दोनों दूर हो गए, लेकिन प्यार बरकरार रहा।
8 साल बाद की शादी
आठ सालों बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया। शादी के दो महीने बाद की कैप्टन अंशुमन की पोस्टिंग सियाचिन में हो गई। दोनों फिर दूर हो गए।
जब मिली मनहूस खबर
स्मृति बताती हैं कि 18 जुलाई को उन दोनों की फोन पर काफी देर तक बात हुई। कई सपने हमने देखे। घर से लेकर बच्चों तक की बात हुई और फिर अगले दिन सुबह फोन आया कि कैप्टन अंशुमन शहीद हो गए हैं।
नहीं हुआ किसी को विश्वास
स्मृति ने कहा, "पहले 7-8 घंटों तक हम यह स्वीकार ही नहीं कर पाए कि ऐसा कुछ हुआ है। आज तक मैं इस बात को स्वीकार नहीं कर पाई हूं। बस यह सोचने की कोशिश कर रही थी कि शायद यह सच नहीं है। लेकिन अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सच है। लेकिन कोई बात नहीं, वह एक हीरो हैं। हम अपनी ज़िंदगी को थोड़ा संभाल सकते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ संभाला है। उन्होंने अपनी ज़िंदगी और परिवार को त्याग दिया ताकि बाकी तीन सैन्य परिवारों को बचाया जा सके।
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