ऐसे ही मशहूर नहीं हुई मोनालिसा की पेंटिंग, चोरों ने जब किया रातों रात गायब, तब जाकर चमकी थी किस्मत

लियोनार्डो द विंची की मशहर पेंटिंग मोनालिसा कभी गुमनाम थी। एक म्यूजिम में बस यूं ही टंगी रहती थी, शायद ही किसी ने उस तरफ उतना ध्यान दिया था, लेकिन एक घटना ने रातोंरात मोनालिसा को मास्टरपीस बना दिया। दुनिया भर से लोग इसे देखने के लिए आने लगे, दरअसल मोनालिसा एक समय में चोरी हो गई थी, इसी चोरी ने मोनालिसा को उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जिसकी वजह से आज आर्ट की दुनिया में उसका सबसे बड़ा नाम है।

कब और किसने बनाई मोनालिसा
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कब और किसने बनाई मोनालिसा

चित्रकार, ड्राफ्ट्समैन, इंजीनियर, वैज्ञानिक, सिद्धांतकार, मूर्तिकार और वास्तुकार यानि कि ऑल इन वन, लियोनार्डो द विंची ने मोनालिसा को इतालवी रईस फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो के लिए बनाना शुरू किया। लेखक और इतिहासकार जेम्स सुग के मुताबिक यह उनकी पत्नी लिसा डेल जियोकोंडो थीं। माना जाता है कि इस पेंटिंग को फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो ने अपने नए घर के लिए और अपने दूसरे बेटे के जन्म से पहले बनवाया था। लेकिन फिर ये उनके हाथ नहीं लगी। संग्रहालय में टांग दी गई।और पढ़ें

 जब मोनालिसा को मिली गुमनामी
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जब मोनालिसा को मिली गुमनामी

विंची के निधन बाद ये फ्रांस के राजा के पास रही और 1797 से ये लूव्र संग्रहालय में शामिल की गई। हैरानी की बात ये है कि दशकों तक आलोचकों ने इसे पुनर्जागरण चित्रकला की उत्कृष्ट कृति नहीं माना। फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों के एक छोटे वर्ग में ही चर्चा का विषय बनी रही।

जब चोरी हुई मोनालिसा
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जब चोरी हुई मोनालिसा

21 अगस्त 1911 की सुबह थी। ऊंघता पेरिस अंगड़ाई ले रहा था। लूव्र म्यूजियम के आस पास शांति थी। इसी दौरान तीन शख्स भारी कंबल की परत के भीतर म्यूजियम से कुछ लेकर जाते दिखे। क्या था इनके हाथों में! इसका जवाब अगले 24 घंटे तक किसी के पास नहीं था। इन चोरों के हाथ में लियोनार्डो द विंची की मोनालिसा थी। अमर कृति जो चोरी होने के बाद चर्चा में आई। दो साल बाद मिली तब पता चला कि चोरी की वजह क्या थी!और पढ़ें

कैसे चोरी का चला पता
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कैसे चोरी का चला पता

21 अगस्त ही वो तारीख थी जिसने मोनालिसा को उसका मुकाम दिला दिया। इतिहासकार सुग ( विदेशी पत्रिका में छपे लेख) के मुताबिक तब तक मोनालिसा गैलरी की प्रसिद्ध पेंटिंग भी नहीं थी। डोरोथी और टॉम हूबलर ने अपनी किताब, द क्राइम्स ऑफ पेरिस (2009) में पेंटिंग की चोरी के बारे में लिखा। वे कहते हैं कि 28 घंटे बीत गए, जब तक किसी को भी चार खाली हुक नज़र नहीं आए। जिस व्यक्ति ने देखा वह एक ज़िद्दी स्टिल-लाइफ़ कलाकार था। पेंटर को गैलरी का हिस्सा रंगना था। टॉम हूबलर कहते हैं, "उसे लगा कि जब तक 'मोनालिसा' नहीं होगी, वह काम नहीं कर सकता।" उसने गार्ड्स को ऊपर की गैलरी में भेजा। जब वह लौटे तो बताया दीवार तो खाली पड़ी है।और पढ़ें

मोनालिसा की चोरी किसने की थी
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मोनालिसा की चोरी किसने की थी

पहले चोरी का शक पाब्लो पिकासो पर गया। खूब पूछताछ हुई लेकिन फिर उन्हें छोड़ दिया गया। दरअसल चोरी में म्यूजियम में ही फ्रेम गढ़ने वाले शख्स का हाथ था। नाम था विन्सेन्जो पेरुगिया। जो चोरी के एक दिन पहले अपना काम खत्म करने के बाद बाहर नहीं आया बल्कि अपने दो अन्य साथियों (दोनों भाई थे-विन्सेन्ज़ो और मिशेल लैंसेलोटी ) संग आर्ट गैलरी की एक अलमारी में जाकर छिप गया। सारी रात वहीं रहने के बाद सुबह साथियों संग इस वारदात को अंजाम दिया।और पढ़ें

क्यों चोरी हुई थी मोनालिसा
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क्यों चोरी हुई थी मोनालिसा

28 महीने बाद पकड़े जाने पर विन्सेन्ज़ो पेरुगिया ने कहा कि मकसद सिर्फ एक था इसके असली मालिक के सुपुर्द करना। उसके मुताबिक यह इटली की धरोहर थी और उसके पास ही रहनी चाहिए थी।

मोनालिसा को जब मिली प्रसिद्धि
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मोनालिसा को जब मिली प्रसिद्धि

इस तरह चोरी हुई मोनालिसा लियोनार्डो द विंची की बेस्ट कलाकृति साबित हुई। मास्टरपीस जिसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है। आज की तारीख में मोनालिसा की पेटिंग को देखने पूरी दुनिया से लोग फ्रांस पहुंचते हैं।

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